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Pretty Haryanavi Couple at Kufri , Shimla |
हमारा जीवन बस ख्वाबों से भरा पड़ा है , कहीं जाने का ख़्वाब , किसी के संग वक़्त बिताने का ख्वाब तो कुछ बेहतर कर जाने का ख्वाब और अंत में उसी ख्वाब से जाग हम खुद को हक़ीक़त की उस दुनियां में पाते हैं जो हमारे ख्वाब का अंग तो ना था ।
मैंने भी वर्षों से सोचा था कि शिमला जानी है , ये शिमला की कॉन्सेप्ट बचपन से बस फिल्मों से आती चली गई और मानो इस धरती की स्वर्ग सी हो गई । कई बार अधूरी कोशिशें हुई जाने की और हर कोशिश की अंत नाकामयाबी से हुई ।
4 अगस्त को मैं अम्बाला गया था कुछ दिन रुकनी थी वहाँ किसी काम से फिर वापस राँची आना था , मेरा काम चल ही रहा था की ध्यान आया कि बीच में चार दिन मैं बिल्कुल खाली हूँ और काफी आत्ममंथन के बाद निर्णय हुआ कि चलते हैं शिमला , हम तीन लोग थे तीनों जाने को तैयार हुए ।
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Ambala, Shahzadpur का हमारा पसंदीदा शेक |
मैंने अपने एक पंजाबी दोस्त अंकुर से बात किया जिसने सलाह दिया कि मुझे बस के बजाय टॉय ट्रेन से जानी चाहिए , जर्नी बड़ी आरामदेह और खूबसूरत हो जाती है , मुझे कुछ अंदाजा था नहीं शिवाय उसकी बातों को मानने का सो मैंने उसकी बात मानी और मन बना बैठा ।
अगले दिन हम तीनों तैयार हुए और निकल पड़े शहजादपुर बस स्टैंड की ओर जो रूम से करीबन तीन सौ मीटर दूर होगी , हम तीनों वहाँ तक पहुँचे और वहाँ हमारे साथ जा रहे एक लड़के ने मना कर दिया , हमने कोशिश किया उसे समझाने की लेकिन शायद शिमला जाना उसके नसीब में ना था , मैं बाकी दोनों लड़कों को 1 सप्ताह से ही जान रहा था इसलिए ज्यादा फोर्स करना मुझे उचित ना लगा और हम दोनों ही निकल पड़े अम्बाला केंट रेलवे स्टेशन की ओर। अभी शाम के करीबन 4 बज रहे होंगे और हरयाणा में जो गर्मी थी वो शब्दों से बयां कर पाना मुश्किल है मेरे लिए , दिन तो दिन रातों को पंखे की हवा में भी जान निकल जाती थी ।
हमें बस मिली अम्बाला केंट के लिए जहाँ से हमारी ट्रेन रात के करीबन बारह बजे थी कालका के लिए ।
रात के करीबन 8 बजे हम अम्बाला पहुँच चुके थे... अंजाना सा शहर था बेशक पर अंजानी सी कोई बातें न थी उसमें चुकी ट्रेन करीबन 12 बजे थी सो हमने सोचा क्यों ना कहीं मॉल घूम आया जाए और हमने गूगल मैप में एक मॉल ढूंढ निकाला और तलाश में निकल पड़े , करीबन पौन घण्टे हम पैदल चले और अंत में गूगल हमें एक बंद पड़ी मीनार के करीब ले गया जो किसी जमाने में शायद मॉल हुआ करती होगी जहाँ इस वक़्त एक इंसान भी नहीं था खैर अब ये देख हमारे पाँव दुखने लगे थे , कंधे पर पड़े बैग भी मानो हमें दबा रहे हो ।
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Ambala cant स्थित Punjabi Dhaba में मैं |
हम खामोशी से वापस स्टेशन की ओर चल पड़े , एक पंजाबी होटल था जो देखने में बेहद खूबसूरत लग रहा था मैंने सोचा कि यहाँ भूख मिटाई जा सकती है , अंदर जाकर मेनू देखा तो थोड़ा महंगा लगा जिसे देख मेरे साथ वाले व्यक्ति ने हाथ खड़ा कर लिया लेकिन मैं मोर्चे पर अड़ा रहा और एक मुर्गा का आर्डर दे दिया .... जब परोसा गया तो मानो कितना स्वादिष्ट व्यंजन हो लेकिन खाते ही... क्यों खाया ।
रात के करीबन 12 बज चुके थे , हमने अपनी ट्रेन ढूँढनी शुरू कर दी , और हमें यहाँ ट्रेन मिली जो सुबह कालका पहुँचाने वाली थी आंखों में शिमला का ख्वाब लिए हम निकल पड़े।
सुबह करीबन 6 बजे हम कालका पहुँच चुके थे , ट्रेन रुकी और हम भी ट्रेन के दरवाजे पर कतारबद्ध हो वेट करने लगे उतरने का , अक्सर बचपन में जब सफर करता तो ट्रेन में कालका लिखी होती थी , जाने की इक्षा कभी नहीं हुई लेकिन लगता था कि कोई बहुत बड़ा जगह है और बचपन से निकल आज हम उस बड़े से जगहे में पहुँच चुके थे।
यहाँ हल्की बारिश हो रही थी, बेहद ही गर्मी से निकल जब अचानक से बारिश का एहसास हो तो सोचो कि कितना सुकूनमय होगा । शरीर पर हल्की हल्की छींटें मानो अमृत वर्षा सी लग रही हो, मानो गर्मी से तपती शरीर में किसी ने बर्फ की स्पर्श करा दी हो... भीगना मुझे हमेशा से पसन्द थे लेकिन यहाँ की बारिश की बात ही कुछ और थी ।
यहाँ आते ही हमने अपनी टॉय ट्रेन ढूँढनी शुरू कर दी , जिसके लिए मेरे मित्र ने मुझे सलाह दिया था ... आखिर कर वो ट्रेन दिखी जिसे मैंने पहली बार देखा था बिल्कुल छोटी छोटी लेकिन बेहद प्यारी , उस ट्रेन को देखते हुए मुझे शिमला सी एहसास आने लगी थी खिड़की में कोई जाली नहीं, बिल्कुल तलहटी से सटी सी सीट जो यात्रा के दौरान और भी खूबसूरत लगती ।
ट्रेन दिखते ही हम सीट के लिए दौड़ पड़े और लकली मुझे विंडो सीट भी मिल गई , छोटी सी ट्रेन जिसके हर एक डब्बे में शायद 25 - 30 लोगों के बैठने की जगह होगी और उसमें से विंडो सीट महज 8 -10 और इसमें से एक मुझे मिला तो खुश होना तो बनता है।
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Kalka to Shimla Toy Train |
ट्रेन पर मैं अपनी सीट पर जा बैठा और कुछ फोटोग्राफी की शुरुआत हुई कई बार मैं निचे उतरना तो कुछ बार मेरे साथ जा रहा अजनबी सा वो लड़का जिसे मैं कुछ दिनों से जान रहा था , इस फोटोग्राफी के दौरान बस मैं ध्यान रख रहा था कि मेरी सीट ना मिस हो जाये और मैं तुरंत ही जा बैठा ।
अजनबियों से दोस्ती करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है , इसके बजाय मैं कानों में हेडफोन लगा गाना सुनना ज्यादा पसंद करता हूँ लेकिन अभी मैं गाने सुनने के बजाय प्रकृति की प्यारी आवाज को ज्यादा तवज्जो दी रहा था तो मैं बस खामोश सा बाहर देख रहा था लेकिन नजरें अनायास ही अंदर बौठे दो कपल्स जो शादी शुदा थे पर आ जा रही थी... खैर उसके बावजूद मैंने बात करना उचित तो नहीं समझा।
ट्रेन शुरू हुई और शुरू हुई मेरे जीवन की सबसे रोमांचक यात्रा , कालका से ट्रेन खुलते ही पहाड़ों की ओर दौड़ लगाना शुरू कर दी , शुरू कर दी ऐसे खूबसूरत दुनियाँ में ले जाना जहाँ जाना ख्वाब में जाने से कम तो ना था।
यात्रा के दौरान मेरे साथ का लड़का रंजीत उन कपल्स से बात कर रहा था और इस दौरान मुझे पता चला कि वो कपल्स बिहार से थे यकीनन दोनों बहुत प्यारे थे हाँ उनमें से एक कि पत्नी थोड़ी गुसैल मिजाज की थी , किसी बात पर वो अचानक से अपने पति पर चीख उठी लेकिन ये चीख बस गुस्सा भरा ना था इसमें नाराजगी, प्यार और उम्मीदें तीनों शामिल थी जो वो उम्मीद कर रही थी अपने पति से ... खैर अगले ही पल उनकी लड़ाई इस कदर प्यार में बदल बैठा की मानो कुछ हुआ ही ना हो।
अब उनका कंधे पे सर थाम बैठना मुझे देखना थोड़ा ठीक नहीं लगा तो वापस मैं पूरी फोकस्ड होकर बाहर प्रकृति के बिखरे नजारों को देखना शुरू कर दिया ..
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Toy Train से बाहर का नजारा |
मैं यहाँ किसी खास को लेकर आना चाहता था हालांकि ऐसा हो ना पाया लेकिन इस दौरान थोड़ी सी याद तो जरूर आ रही थी वो... मैंने एक कहानी लिखी थी उसपे "
आस्था , मेरी वो बनारसी " कहानी शिमला पे ही थी और ख्वाइश थी कि एक दफा साथ जाऊँ लेकिन ख्वाबों का क्या, आते ही हैं टूटने के लिए, खैर ये यादें थी बस, गम ना था ।
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रास्ते पर आने वाले खूबसूरत स्टेशन |
अब तक 3-4 स्टेशन पार कर चुके थे हम... पहाड़ों एवं खाइयों के बीच से गुजर रही ट्रेन मानो पुष्पक विमान सी उड़ रही हो , कुछ 2 घटें चलने के बाद ट्रेन बीच में ही रुक पड़ी , काफी देर रुकी तो पता चला कि आगे पेड़ गिर गई है और जब तक ना हट जाए तब तक यहाँ से आगे जाना संभव नहीं है तो जाँच पड़ताल के नाम पर बाहर का नजारा देखने के लिए मैं ट्रेन से उतर गया जहाँ पहले से पचासों लोग उतरे हुए थे ।
बाहर उतर लगा मानो मैं बिल्कुल फिल्मों के किसी दृश्य में उतर आया हूँ , चारों ओर लम्बे लम्बे वृक्ष , एक ओर पहाड़ तो दूसरी ठीक सामने खाई , ध्यान दिया तो पता चला कि पहाड़ को ही काट कर खाई बनाई गई है , मैं खड़ा खड़ा वहाँ अपनी कल्पनाओं को गढ़ने लगा कि यहाँ लोग कैसे रहते होंगे , काम क्या करते होंगे और कितनी मनोरम दृश्य है ये इंसानों की कुकृत्यों से बिल्कुल दूर, मैं प्रकृति में उलझा ही था कि अचानक ही ट्रेन की साइरन ने मेरी ध्यान खींच लिया , देखा तो सभी लोग बिल्कुल जल्दीबाजी में ट्रेन चढ़ें जा रहे थे फिर मैं क्यों पीछे रहता ।
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पेड़ गिरने के कारण ट्रेन रुक गई थी । |
कुल 9 घण्टें की यात्रा , बेहद खूबसूरत राहों से गुजर आखिर हम शिमला पहुँच चुके थे... वही शिमला जहाँ जाना ख्वाबों से कम तो ना था ।
शिमला पहुँचते ही जिस ओर भीड़ जा रही थी हम भी उसी ओर चल दिये, आगे कुछ कदम पे ही एक व्यक्ति ने होटल के लिए पूछ लिया , पूछ क्या लिया बिल्कुल साथ चलने को बोलने लगा । साथ लड़कियां होती तो असहज होता लेकिन हम दो लड़के ही थे तो चल दिये , मैंने सोचा कि इसे पहले ही बता दूँ हज़ार से अधिक नहीं दूँगा लेकिन उससे पहले मेरे साथ वाले लड़के ने कह दिया 600 ही देंगे , इतना कम सुन तो मैं चकित हो गया लेकिन होटल वाला मूड में था और आखिर मॉल रोड से करीब दो सौ मीटर की दूरी पे उसने हमें होटल दिलवा दिया महज 700 में वो भी बेहतरीन होटल ।
होटल में मैंने देखा पंखा नहीं था और ना ही ए.सी ,पता चला कि यहाँ कभी गर्मी नहीं पड़ती और सही ही था क्यों कि इस सितम्बर की माह में अंबाला में हमारे पसीने निकल जाते थे रात में भी लेकिन यहाँ दिन में भी हम कंबल लपेटे हुए थे ।
पहली शाम को हमने बाहर निकल कुछ खाने का फैसला किया और सामने स्थित मॉल रोड़ की ओर चल पड़े ये बिल्कुल हमारे परिवेश यानी झारखण्ड से अलग था , समतल भूमि का मिलना बिल्कुल असंभव, इससे पहले मैं सिक्किम गया था कुछ उस सा दिख रहा था ये हमें , पहाड़ों को काट कर बने घर बिल्कुल किसी जन्नत सा लेकिन इस जन्नत में उम्र गुजारनी हो तो काफी मुश्किल है । मैं पहले सोचता था कि इस Shimla, Sikkim में माओवाद क्यों नहीं फैलती जबकि जंगल तो यहाँ भी है और हमारे Jharkhand में इसका अधिक असर क्यों है फिर जाकर पता चला कि जो जंगल हैं वहाँ वो जंगल नहीं बल्कि खाई हैं , माओवादी चाहकर भी वहाँ नहीं रह पायेंगे , हर कदम पे मौत, ठंढ़ और आसानी से वो पुलिस के शिकार बन सकते हैं।
हमलोग Mall Road पहुँच चुके थे, इतनी खूबसूरत जगह की क्या कहना मानो की पहाड़ों की शिखर पे कुछ समतल जमीं हो जिसे बिल्कुल खूबसूरत सा आकार दे सजा दिया गया हो जहाँ से आप बेहद दूर प्रकृति के नजारे का लुत्फ उठा सकते थे , वहीं सामने चर्च और उससे कुछ दूर Jakhu Temple थी जो कि hanuman ji की थी ।
अब हम मॉल रोड़ के करीब खाने की तलाश करने लगे , अधिकतर जगह चावल-रोटी मौजूद ना थी , एक जगह समोसा मिला उसने भी दाम बताया 70 रुपये ये सुन हम बिल्कुल आवाक हो गए भी 5 रुपये वाले समोसे में ऐसा क्या कर दिया कि की 70 का दे रहा। हम कुछ बेहतरीन की तलाश में आगे बढ़ गए फिर हमें सेव और अनार मीले बिल्कुल सस्ते सौ में ढाई किलो हमने बिन सोचे ढेर सारा खरीद लिया और चल पड़े । फिर क्या पूरी रात चबाते रहे और अंततः दोबारा हिम्मत ना हुई बाहर जाने की ।
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Shimla mall Road में मील फ्रेश फल |
अगली सुबह हम जल्द ही जगे और होटल से दूध और कॉफी मंगवाया , काफी सस्ता था महज 20 में एक ग्लास दूध और उतने का ही कॉफी ।
पिछली रात को ही मीडियेटर ने हमें बताया था कि 1500 लगेगा आपको एक पर्सनल कार मिल जाएगा और 6-7 लोकेशन के बारे में बताया कि यहाँ घुमाया जाएगा , हमने सुबह मस्त बारगेनिंग किया और 1000 में घूमना तय हुआ ।
सुबह करीबन 10 बजे हमारी यात्रा शुरू हुई होगी और सबसे पहले ड्राइवर हमें Jhaku Temple ले गया और यकीन मानिए उससे खूबसूरत - शांत मंदिर मैंने आज तक नहीं देखा था , इतनी सुंदर और क्लासिक बनावट की क्या कहा जाए , अंदर घुसने से पहले बिल्कुल लकड़ी से बनाया हुआ दरवाजे को क्या ही कहना बेहद ही लाजवाब ... दरवाजे से अंदर जाते ही भक्ति मय संगीत मानो कानों में रसामृत घोल रही हो , हम लोग अंदर जाकर Hanuman ji से आशीर्वाद ले ढेर सारी फोटोज लिए और मंदिर के हर एक मंजर को आँखों में हमने कैद कर लेना चाहा और किया भी ,ईतना किया कि अभी लिखते वक्त सैकड़ों तस्वीरें यादों में उमड़ रही है इस उम्मीद में की काश मैं फिर जा पाता ।
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Jakhu temple Shimla |
मैंने मंदिर से साथ कुछ याद ले जाना चाहा , सामने ही एक युवती मूर्तियां , रिंग्स वगैरह बेच रहीं थी तो मैंने वहीं से एक बिल्कुल छोटी से बजरंग बली की मूर्ति ले ली शायद 3 या साढ़े 3 सौ में मुझे अच्छे से याद नहीं ।
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Bajrang bali की bronze statue |
मंदिर के ही प्रांगण में बंदरों का मानो अम्बार लगा हो , और इसी दौरान बंदर एक व्यक्ति का चप्पल लेकर सामने एक छावनी पर चला गया और प्रतीक्षा करने लगा , मानो की उसे कुछ खाने को चाहिए तब वो देगा , अब वहाँ खाने को लाये कहाँ से फिर भी ढूंढ कर एक केला लाया और बन्दर की ओर फेंका लेकिन केला किनारे से दूसरी ओर निचे गिर गया और उसके साथ गिर गई उसकी उम्मीदें ।
चुकी हमें आगे भी जाना था इसलिए हम वहाँ से निकल पड़े, निकलते वक्त मंदिर के ठीक करीब नींबू पानी मिल रही थी और मुझे लगा इससे बेहतर पेय पदार्थ और क्या हो सकता है तो मैंने पी लिया ... कुछ बहुत विशेष तो नहीं था लेकिन जिस जगह में मैं खड़ा था वही मेरे लिए ख्वाब था और ख्वाब अक्सर खूबसूरत होते हैं ।
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Jakhu temple की entrance gate |
Jakhu temple से निकल हम आगे बढ़े बिल्कुल सकरे टेढ़े मेढ़े रास्ते से गुजर जहाँ गाड़ी चलाना एक कलाकारी से कम ना थी हमने ड्राइवर से अनुरोध किया कि आप कुछ लोकल गाना सुनाइये और उन्होंने शुरू भी किया जिसे हम सेलिब्रेट कर रहे थे ।
जिस सड़क से हम गुजर रहे थे वो खास न थी कुछ , बस अंतर थी कि ये पहाड़ी से भरी थी, समतल जमीं की बेहद कमी थी जो इसे खास बना रही थी... इन जगहों से गुजरते गुजरते एक जगह ठहरना पड़ा, एक्चुअली वहाँ से विद्यालय के बच्चे पर्यावरण को लेकर कतारबद्ध आगे बढ़ रहे थे ठीक वैसे ही जैसे बचपन में एक तख्ता पकड़ बिल्कुल जोशीले अंदाज में हम जाया करते थे , कुछ वक्त बाद हमें रास्ता मिला और हमारी गाड़ी आगे निकल पड़ी , गाड़ी में हमने लास्ट नाईट वाली ढेर सारी सेव रखी थी जिसे हम भरपूर खाये जा रहे थे अब सेव और सस्ता.. कौन छोड़े ।
कुछ 20-25 किमी के बाद एक जगह गाड़ी रुकी ...मैंने कारण पूछा तो उन्होंने बताया ये ग्रीन वैली है , आप लोग फ़ोटो वगैरह खिंचवा लीजिये।
ड्राइवर की बातें सुन हम उतरे तो देखें पहले से ही लोगों की भीड़ लगी है जो आंखों से कम कैमरों से अधिक तस्वीरों को संजोने की कोशिश कर रहे हैं , हम भी लग गए इस प्यारे से जगह को संजोने में ।
Green valley मुझे बहुत खास नहीं लगी क्यों कि झारखण्ड में ऐसे कई जगहें हैं, बस अंतर होती है पेड़ों के प्रकार की । बिल्कुल बड़े से क्षेत्र में खाई में लगे लाखों पेड़ शहरी लोगों को खूबसूरत ही लगेगी, मुझे भी लग रही थी लेकिन अब जिस इंसान ने हज़ारों बार सफेद रसगुल्ले खाये हो उसे क्या ही फर्क पड़ेगा पिले रसगुल्ले से ।
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Green valley Shimla |
कुछ वक्त यहाँ बिताने के बाद हम निकल पड़े कुफरी की ओर ।यहाँ से करीब 10-15 किमी आगे जाने के बाद हमारे चालक ने गाड़ी रोक दी औऱ बताया कि यहाँ से आगे हम नहीं जा सकते , आगे जाने के लिए आपको घोड़ा किराया पर लेना होगा ।
ये सुन मुझे थोड़ा ठगी महसूस हुआ क्यों कि होटल में कार्ड पर लिखा था कि आपको ये ड्राइवर द्वारा 8-9 जगहें घुमाई जाएगी और साधारणतः लोग समझेंगे की ये सारी जगहें यही कार लेकर जाएगी लेकिन ये धोखा हो गया ।
खैर जो होना था सो हुआ, जहाँ गाड़ी खड़ी हुई वहीं कुछ दुकान थे जिसमें टिकट मिल रहे थे मैंने पूछा था उन्होंने बताया कि 1500 रुपये लगेंगे जिनमें घोड़ा का आना और जाना दोनों शामिल है साथ ही 6 एडवेंचर करवाये जाएंगे । मैंने थोड़ा कम करवाने का पर्यास किया और आखिर मैंने 1000 में घोड़ा और 4 एडवेंचर ले लिया। मेरे साथ जो लड़का गया था वो इससे आगे नहीं गया पता नहीं क्या वजह रहा लेकिन नहीं गया , मुझे जाना था साथ या अकेले सो मैं निकल गया।
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Sports bill receipt of Kufri |
थोड़ी देर के बाद एक गाड़ी मुझे इस वर्तमान में जहाँ था वहाँ से करीबन 1 किमी दूर ले गई जहाँ से ऊपर जाने का पक्का रास्ता ना था वहाँ से ऊपर महज घोड़े जाते थे , रास्ते भी ऐसे कीचड़ भरे की अगर आप पैदल गए तो आपके पाँव का कीचड़ से लथपथ होना तय था ।
मैं घोड़े के करीब गया जहाँ कुछ व्यक्ति खड़े थे , उन्हें टिकट दिखाया , उन्होंने कुछ वक्त प्रतीक्षा करने को कहा चुकी मैं अकेला था और यहाँ सारे घोड़े जोड़े में थे ।
घोड़ें को प्रतीक्षारत मेरी आँखें चारों ओर के दृश्य में ओझल हो चुके थे .... बिल्कुल लम्बे-लम्बे से वृक्ष , 50 से अधिक घोड़े जिनमें से कुछ आराम कर रहे थे तो कुछ काम पर लगे थे , ठंढ़ में मुझे यकीं है ये जगह बिल्कुल बर्फ से पट जाती होगी ... तब सफेद सी सिलवटों में लिपटी ये वादियाँ किसी खूबसूरत महिला से कम ना दिखती होगी जिसे एक टक देखे जाने की इक्षा हर एक इंसान को हो।
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Horses near kufri |
ये लो बैठो इस घोड़े में.... घोड़े वाले ने एक कपल को एक भूरे रंग से घोड़े में बैठने को कहा ।
नहीं , मुझे सफेद घोड़ा चाहिए , इसमें नहीं बैठूंगा मैं। उस व्यक्ति ने तनिक रोष में कहा ... शायद फ़ोटो खिंचवाने के इरादा थी उसे सफेद घोड़े पर... अब हज़ारों किमी का सफर कर यहाँ आ सकते हैं तो थोड़ा देर रुकना कौन सी बड़ी बात है ।
आपको वेट करना पड़ेगा... घोड़े वाले ने कहा ।
हाँ ठीक है ।
दो घोड़े वाले आपस में लोकल भाषा में कुछ बात करते हुए हंस पड़े... समझ नहीं आई लेकिन समझ आ गई कि पक्का इसको गाली दे रहा है और लम्बा वेट करवाएगा।
कुछ देर बाद ही एक व्यक्ति एक सफेद घोड़ा लेकर आया और मुझे कहा... बैठ जाओ इसपर ।
मैं भी उस घोड़े पर बैठ गया.. और चुकी अकेला था इसलिए घोड़े वाले से अनुरोध किया कि एक फ़ोटो लेलो... अगर ना लिया तो हमारा घोड़ा पर बैठना सार्थक ना हो पायेगा ।
घोड़े वाले ने एक छोटा सा वीडियो लिया जिसमें से मैंने स्वाद अनुसार एक तस्विर निकाल ली ।
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Horse riding at Kufri , Shimla |
मैं अकेला घोड़े पर बैठ साथ करीबन 5-6 अन्य लोगों को देख रहा था जो मेरी तरह सफर पर थे ... मुझे सफर अकेला करने में कोई गुरेज नहीं थी लेकिन यादों को तस्वीरों में समेट नहीं ले जा पाने का अफसोस जरूर होता ।
साथ ही एक कपल थे , लड़के के साथ मेरी आँखें टकराई और हम दोनों ही मुस्कुरा बौठे... मैंने उनसे कहा कि मैं भी सफर में हूँ, अकेला ।
कोई बात नहीं, चलो हमलोग भी वहीं चल रहे हैं ।
लड़कों को दोस्ती और दुश्मनी दोनों में समय नहीं लगती ... हमारा खूबसूरत सफर अब शुरू हुआ था...किसी हॉलीवुड फिल्म के दृश्य से कम ना था हमारा ये सफर ... बिल्कुल बेतार्किब सा राह जहाँ घोड़ा अपनी मर्जी से ले जाये जा रहा था ...ना मुझे घोड़े को निर्देश देना आ रहा था और ना ही वो मेरी सुन रहा था, कई जगहें ऐसी आई जहाँ लगा कि मैं तो अब गया ... बगल में बिल्कुल गहरी खाई और वहीं करीब से घोड़ा यूँ गुजर रहा था जैसे उसके लिए पैराशूट लगा हो ।
बिल्कुल सन्नाटे से रास्ते में बस झींगुर की आवाजें ही आ रही थी लेकिन सफर की खूबसूरती को मेरे लिए लिखना संभव नहीं ...मैं यकीनन दुनियाँ की भागदौड़ से दूर जा इन जंगलों में Hobbit बन गुम हो जाना चाहता था... लेकिन ख्वाब थे बस इसके हक़ीक़त में बदलने की गुंजाइश कहाँ ।
इस 2-3 किमी के रास्ते में 2-3 अलग अलग गाँव की सीमायें भी आई जहाँ हमने 10-10 रुपये टैक्स दिए और आखिर कर हम ऊपर Kufri hill आ चुके थे ।
Kufri Hill से हमें एक वैन आई और वहाँ से करीबन 1 किमी आगे दूसरे लोकेशन पर ले गई जहाँ हम एडवेंचर करने वाले थे ... वैन बिल्कुल खुली थी जिसपे खड़े होकर जाना था औऱ ऐसी यात्रा भी मैंने पहली बार ही कि थी क्यों कि इस क़दर वाइब्रेशन हो रही थी कि अगर मुँह बन्द रख दांत को मीचे ना रहो तो है तो होंठ कट जाएगी या दांत टूट जाएगी।
मैं जीवन में इन अनुभवों को पहली बार ले रहा था बिल्कुल घने जंगल में अलग अलग स्पोर्ट्स के आंनद लेने का मजा ही अलग था और साथ थे हमारे हरयाणा के वो कपल जिनसे कुछ वक्त पहले ही मुलाक़ात हुई थी लेकिन अजनबी पन सा कुछ ना था ... रस्सी चढ़ना, करीबन 50 फिट ऊपर रस्सी एवं बांस के पुल पर चलना इत्यादि का बेहद अलग आंनद था ।
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Kufri me adventure |
हालांकि मुझे अनुभव याद है ऊंचाई पर चलना या चढ़ना मुश्किल ना था अगर मुश्किल था तो वहाँ से कूदना मानो बस जान निकलने को है लेकिन बेहद ही मजेदार ।
यहाँ से हम कुछ दूर बसे गाँव गए... गाँव, जहाँ एक घर होना अब मेरा ख्वाब है ... इस जगह की खूबसूरती बस यूँ है कि आप एक कमरे से स्वर्ग देख रहे हों । ठीक घाटियों के एक छोर पर बसा ये घर की खूबसूरती मानो करोडों की थी , यहाँ से बिल्कुल दूर तक खाई और इन खाइयों में सुंदर से वृक्ष दिखते थे जो बेहद प्यारे थे लेकिन जितनी खूबसूरती यहाँ की थी उतना ही मुश्किल होगा यहाँ रहना , क्यों कि हर एक संशाधन के लिए आपको यहाँ से करीबन 15-20 किमी दूर जाना पड़ेगा और उससे पहले तो कुछ मिलने से रहा, गलती से अगर पाँव खिसका तो भगवान के प्यारे हो जाएंगे ये भी तय है ।
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Monkeys at Shimla |
उस अजनबी से हरयाणवी कपल्स के साथ मैं Kufri , Shimla का खूब आनन्द उठा रहा था , यूँ तो अकेला था मैं लेकिन अब अकेलापन नहीं थी... हाँ मैंने कभी सोचा था शिमला किसी खास के साथ आने को लेकिन क्या है ना कि ख्वाब अक्सर ख्वाब रह जाते हैं, सो रहा गए । अब यहाँ से फिर आगे ले जाने को एक सेम गाड़ी आई, मैंने अपने दाँत का ख्याल रखते हुए उसपे चढ़ा और वो ठीक आगे हमें सेव के बगीचे के करीब ले गया , बड़ी उत्सुकता से हम निचे उतर उस बगीचे में घुसे ... पेड़ पे लगे कच्चे-कच्चे सेव यूँ थे कि बस तोड़ कर टेस्ट तो जरूर करूँ .... यहाँ लगे सेव तोड़ना अपराध है , सेव तोड़ने पर जुर्माना भरना पड़ सकता है ... ये पढ़ते हुए एक महिला सेव तोड़ अपने बच्चे को दी... बड़ी क्रांतिकारी थीं वो।
खैर कम मैं भी ना था, 4 स्पोर्ट्स का पैसा देकर पाँचवा कर रहा था ।
वक़्त हो चला था लौट आने का , कुफरी को छोड़ , शिमला को छोड़ ख्वाबों तोड़, उम्मीदों को छोड़ ... लौट आया , इस उम्मीद में की फिर आऊँगा , फिर तुम्हारी खुशबू को अपने जहन में महसूस करूँगा ।
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Shimla |