एक लड़की अंजानी सी... Love story

संजीव की उंगलियां क्रोम के आर्टिकल्स पे बस यूं ही घूम रहे थे , इस कोशिश में की शायद कुछ बेहतर मिल जाये लेकिन हमेशा की तरह राइटर्स के दिलचस्प हेडलाइन्स और बोरिंग कंटेंट से वो आज फिर ऊब चुका था तभी अचानक से स्क्रीन पे नोटिफिकेशन आई ...टिंडर में किसी से मैच होने की नोटिफिकेशन थी वो , हाँ वही डेटिंग एप्प जो समय व्यतीत करने का बेहद खूबसूरत तरीका बन चुका था । नोटिफिकेशन के साथ ही किसी का कॉल आ पड़ा और कॉल के साथ एक काम भी।

               दोपहर के करीबन 2 - 3 बज रहे होंगे, संजीव ने Tinder खोला तो न्यू मैच में कोई पॉप अप कर रही थी, उसने देखा तो ये लीजा थी , लीजा लेट्स सी हर ... सोचते हुए उसने उसकी जितनी भी अपलोडेड पिक्स थी सबों के बेहद सब्र से देखा और टेक्स्ट किया , हाय लीजा !! इतना कह कर उसने एप्प क्लोज कर दिया... फोटोज देख कर खूबसूरत तो बेहद लगी लेकिन ख्याल एक से लगे नहीं उनके फिर भी क्या फर्क पड़ता है सीरियस होता कौन है यहाँ ? संजीव के जहन में यही बातें चल रही थी ।
कुछ घन्टे बाद रिप्लाई आई और कुछ बातें शुरू हुई ये बातें थी या महज फॉर्मेलिटीज पता नहीं लेकिन बस हो रही थी ।

           पिछली दिन कोई ऐतिहासिक रही नहीं, टिंडर पे चंदलोगों से चंद बातें कुछ ऑफिसियल मीटिंग्स और गुड़ नाईट । आज शाम हो चुके थे, टिंडर पे चेक किया तो लीजा की रिप्लाई दिखी , टेक्स्ट देख कुछ बातें हुईं और बातें इतनी सीरियस जिसकी उम्मीद संजीव को तो बिल्कुल ना थी फिर भी संजीव पूछ पड़ा रहती कहाँ हो, जान सकता हूँ ... अब गली का चक्कर तो बनता है ना !!
हालांकि बातें बेहद बकवास थी लेकिन इन बातों के बाद बातें बेहद होनी शुरू हो गई।

 शाम के करीबन 8 बज रहे होंगे और संजीव की लीजा से बातें हो रही थी , संजीव ने कुछ सोचा और पूछ पड़ा "हम कब मिल रहे ? " 
" तुम कहो " लीजा ने तुरंत जवाब दिया ।
अच्छा ऐसा हो सकता है ... संजीव बेहद आश्चर्य चकित था, और हो भी क्यों न , इसी भाव में संजीव लीजा से पूछ पड़ा  आज... या फिर कल ? 
आज क्यों नहीं ? लीजा का रिप्लाई आया ।
हे भगवान कितनी खुशी देंगे आप एक ही दिन में ? संजीव के लिए बिल्कुल आश्चर्यजनक सी बात थी ये ।
आर यू स्योर ? संजीव पूछ पड़ा ।
व्हाई नॉट लीजा का जवाब आया ।
नम्बर दो ... संजीव ने तुरंत टेक्स्ट किया । 
तुम दो... लीजा के नम्बर मांगने पर संजीव ने नम्बर दे दिया ।

एक अजनबी नम्बर से कॉल आया और मिलने की जगह तय हुई ... इतनी जल्दबाजी में इतना कुछ तो यकीं से बाहर की बात थी ।
संजीव तुरँत कपड़े पहन निकल पड़ा , मोबाइल में रैपिडो बुक कर आगे बढ़ रहा था ताकि रास्ते में वो मिल जाये लेकिन ऐसा हो ना पाया , हालांकि दूरी अधिक ना थी लेकिन पहुँचना तो था और शायद थोड़ा जल्दी । 

तभी दोबारा कॉल आया ...लीजा का "कहाँ हो ,मैं पहुँच गई " 
वो पहुँच चुकी थी और संजीव अब भी उससे करीबन 700 मीटर दूर था , उसकी कॉल आने के बाद धड़कने और पाँव दोनो 3X में काम करना शुरू कर दिए थे लेकिन अब क्या ... देर तो होनी ही थी ।

और कितनी देर , लीजा ने फोन पे पूछा , बस बस सामने हूँ मैं , मतलब लगभग पहुँच ही गया ... अगर तुम जल्दी नहीं आये ना तो मैं चली जाउंगी , उसने धमकी भरे लहजे में कहा ... अरे नहीं यार मैं पहुँच ही गया हूँ संजीव ने बड़ी मशक्कत से कमान संभाला , अब एक लड़की रात के आठ बजे प्रतीक्षा कर रही हो किसी अजनबी लड़के की तो मामला गंभीर ही होगा ।


कहाँ हो , संजीव ने पूछा और कुछ कदम आगे बढ़ा... कुछ कदम ही आगे बढ़ा की बिल्कुल अंधेरे में काले लिबास में  एक लड़की मुस्कुराती हुई उसकी ओर बढ़ रही थी , महज लड़की कहना शायद सही ना था , बिल्कुल दूध की पवित्र धारा सी वो मानो एक सफेद सी मृगतृष्णा हो लेकिन ये सत्य थी और संजीव बेहद प्रसन्न लेकिन विचलित । 

                   आते ही लीजा ने संजीव की ओर हाथ आगे बढ़ाया तो तुरंत ख्वाबों से बाहर आ संजीव ने भी हाथ मिलाया , वो हाथ का मिलाना आम तो ना था, स्पर्श तो महज हाथ हुए थे लेकिन ये छुवन दिल तक पहुंच गई थी  ... बेहद नरम से ये हाथ काश यूँ ही करीब रहे , हमेशा तो कितना सुकून भरा होता , संजीव के आँखों के करीब वो थी और जहन में कई बातें बस उमड़ रही थी । 

ये लो... लीजा ने डायरी मिल्क निकाल संजीव की ओर आगे बढ़ाई ।
थैंक यू ... संजीव ने लीजा से कहा , ये डायरी मिल्क संजीव के जीवन की पहली डायरी मिल्क थी जब किसी खास लड़की जो दोस्त ना हो ने उसे डायरी मिल्क दिया हो और साथ ही अफसोस भी हो रही थी कि काश वो भी कुछ लेकर आया होता , कितना बेवकूफ है ये , कैसा रहा पहला इम्प्रेसन ... कंजड़ !!

तो कैसे चलना है ... लीजा ने आगे पूछा ।
यहाँ से करीबन 700 मीटर है हमलोग ऑटो भी कर सकते हैं और पैदल भी जा सकते हैं । संजीव ने लीजा से कहा ।
मुझे वॉक करने में कोई प्रॉब्लम नहीं है चलो चलते हैं पैदल। उसकी कॉन्फिडेंस और कोमलता मैच तो नहीं कर रही थी फिर भी संजीव ने उसका कहा मान लिया और ये सफर आरम्भ हुआ ।

संजीव और लीजा साथ चल रहे थे लेकिन संजीव को एहसास ऐसा हो रहा था कि इसके साथ चलना वो डिजर्व नहीं करता, लेकिन क्यों ... अरे इतनी प्यारी लड़की के साथ मैं कैसे चल सकता हूँ ? ईस वॉक के दौरान उसके जहन में प्यार मोहब्बत की बातें तो आ ही नहीं रही थी ... मतलब कोई इंसान खुद को लेकर ऐसा सोच सकता है ये संभव ना था ।
और कितनी दूर है ? लीजा ने संजीव से सवाल किया ।
हे भगवान अभी तो आधा का आधा भी नहीं आये हैं संजीव सोच पड़ा । 


देखो अभी दूर तो है..  आगे एक चौक है वहाँ से मुड़ जाना है उसके बाद कुछ दूर चलने पे हमलोग पहुँच जाएंगे ।
बड़ी मुश्किल से लीजा के गुस्सा भरे चेहरे को देखते हुए संजीव आगे बढ़ रहा था ।
आई एम नॉट मीटिंग अगेन.... लीजा ने धीमी स्वर लेकिन बिल्कुल गुस्से में बोली।

संजीव को अंदाजा तो थी ही इस बात की बस उसे उम्मीद ना था कि लीजा यूँ कह देगी , खैर पहली और आखिरी ही सही इसे थोड़ा तो अच्छा फील करवाया जा ही सकता है , संजीव ने सोचा। 

हल्की बादलों ने शहर को ढक रखा था, सड़क के किनारे लगे पेड़ से छन सड़क पर पड़ रही चाँद की रोशनी मानो कोई कलाकृति बना रही हो, और इस कलाकृति पर इतनी प्यारी लड़की के साथ चलना किसी ख्वाब से कम तो ना था  बस अफसोस थी कि ये सफर बस आज तक के लिए ही है ... कितनी सुकूँ भरी होती गर ये सफर और साथ उम्र भर चलती रहती.... संजीव के जहन में ये बातें अनायास ही चल रही थी ।

अब वो करीब ही पहुँचने वाले थे की अचानक से लीजा ने संजीव को रोक उसे चाँद की ओर दिखा बोली कितना प्यारा लग रहा है ना...

अरे चलो.... संजीव तुरंत बोल पड़ा , जहाँ से ये गुजर रहा था वहाँ संजीव के किसी परिचित का घर था और गर वो देख लेते तक बात का बतंगड़ बन जाता जो इज़े मंजूर ना थी ।

आखिर वो रेस्टुरेंट पहुँचे , घने वृक्षों के बीच बेहद सुकून भरा जगह किसी को भी स्ट्रेस से बाहर निकाल सकता था हालांकि इसकी जरूरत लीजा को बेहद थी।

क्या लोगी.... संजीव ने लीजा से पूछा ।
मुझे भूख नहीं है , रहने दो ... लीजा ने संजीव से कहा ।
नहीं नहीं... चिकन मंगाते हैं ना ... संजीव ने लीजा की बात को बीच में काटते हुए बोला ।

तुम नॉन वेज खाते हो ? लीजा ने संजीव से अजीब घृणा भरी नजरों से देखते हुए पूछा ।
लीजा के सवाल और सवाल करने के तरीके से संजीव समझ गया कि दोबारा भुंचाल आने को है .... अब दोबारा मिलने की बची खुची उम्मीदें भी इस नॉन वेज के तले दफ़्न होने को थी ।

संजीव ने कहा हाँ , तुम नहीं खाती ?
आई काँट ट्रस्ट की मैं एक नॉन वेज खाने वाले के साथ बैठी हूँ ।

संजीव के लाख प्रयास के बावजूद उसके चेहरे बयाँ कर रहे थे कि काश ना ही मिले होते तो बेहतर था... यूँ मिलना और फिर मिलने की शिलशिला का अंत होना बड़ा मुश्किल काम है ।

कुछ देर तक लीजा यूँ ही सन्न भाव में संजीव की ओर देखती रही और फिर अनायास ही जोरों से हंस पड़ी ... ये हंसी देख संजीव को कुछ समझ नहीं आया लेकिन उसे लगा शायद मामला बेहतर हो रहा है।

पागल... अपने चेहरे की एक्सप्रेसन देखो कैसा हो गया है और मैं खुद नॉन वेज खाती हूँ ।

ये सुन संजीव की जान में जान आई ... उसकी ये हंसी किसी सूखे पौधे पे बारिश की फुहारे समान थी जिसके गिरने से कई उम्मीदों के पौधे खिल आई थी ।

तुम बताओ न क्या लोगी ? संजीव ने लीजा से पूछा जिसके जवाब में लीजा ने कॉल्ड कॉफी के लिए कहा और संजीव ने अपने लिए भी कॉल्ड कॉफी कह दिया हालांकि उसे ये पसन्द ना थी लेकिन वो चाहता था महसूस कर करना लीजा को उसके पसन्द को ...

अब लेट हो जाएगी, निकलना पड़ेगा...लीजा ने संजीव से कहा ।
बड़ा मुश्किल है तुम्हें जाने देना लीजा , कुछ घण्टे ही हुए हैं तुमसे मिले बेशक लेकिन मन हो रहा कि तुम्हें रोक लूँ, हमेशा के लिए खुद के करीब , इतने करीब की जिसके बीच में कोई फासले हो ही ना ... संजीव ने मायूसी से लीजा से पूछा कुछ देर और रुक सकते हैं क्या ... 10 मिनट ? 

ठीक है लेकिन अब गेट बंद हो जाएगी अगर देर हुई तो... लीजा ने कहा ।
ठीक है , चलते हैं ... संजीव ने ओला बुलाया और दोनों निकल पड़े... कहने को कई बातें थी लेकिन इस चंद घड़ियों में जज्बातों को शब्दों में पिरो कह पाना संजीव के बस में ना थी ... कैसे कहता कि मैं तुम्हें कभी जाने नहीं देना चाहता लीजा , कभी नहीं लेकिन शायद इन बातों को कहने का ये उचित वक़्त ना था ... आखिर लीजा की रूम आ गई।

यहाँ से करीब है मैं चली जाउंगी लिजा ने कहा...
नहीं नहीं मैं साथ चलूँगा , संजीव ने कहा । तुम्हारे साथ गुजार पाऊं वैसे चंद लम्हें को भी मैं व्यर्थ नहीं जाने दे सकता लीजा  अगर ये हमारी आखिरी मुलाक़ात है तो वही सही ... लेकिन अपने यादों में तुम्हारे साथ कुछ और वक्त संजोने का मौका नहीं जाने दे सकता मैं ।

चलती हूँ ... अपने दरवाजे के करीब पहुँच संजीव की ओर हाथ बढ़ाती हुई लीजा बोली... संजीव एक दफा ही सही उसे गले लगाना चाहता था लेकिन शायद इसे कह पाना भी संभव ना था और जब लीजा न बाई कहा तो उसकी ओर ना चाहते हुए भी हाथ बढ़ाते हुए संजीव ने कहा... बाई !! और वापस लौट आया बेहद खूबसूरत यादों और एक डायरी मिल्क के साथ ।





एक लड़की अंजानी सी... Love story एक लड़की अंजानी सी... Love story Reviewed by Story teller on जून 21, 2022 Rating: 5
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