2020 में National Crime Records Bureau ने करीबन 77 रेप केशेस प्रतिदिन नोट डाउन किया है जो कि सरकारी आंकड़ा है लेकिन हकीकत में शायद यह आधा भी न हो क्यों की ऐसी घटनाओं को लोग ज्यादा फैलाना पसंद नहीं करते और बातें दब जाती है, कई घटनाएं थाने में भी थानेदार द्वारा लेन देन कर विक्टिम का अंतरात्मा को कुचलते हुए खत्म कर दिए जाते हैं जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है।
सोचने वाली बात है कि आखिर ये चीजें इतनी बढ़ कैसे रही है ? कहाँ से आ रही है मानसिकता जो लोगों में ऐसी विकृत भरी सोच समाहीत कर रही है।
हमें सरल सी बात पता है कि इंसान जो भी सीखता है अथवा करता है उसमें उसके परिवेश और माहौल काफी मायने रखते हैं और आज की माहौल दूषित होने की चरम सीमा को स्पर्श कर चुका है।
पहली बात हम युवतियों के पहनावे की करते हैं , हालांकि जो मैं लिखने जा रहा उसे अगर खुले मंच पर कही जाए तो लोग क्रांतिकारी बनना शुरू कर देंगे, अधिकार जैसी बड़ी बड़ी बातें करना शुरू कर देंगे।
बात है छोटे और उत्तेजक कपड़ों की जिसे मॉडर्न मान पहना जाता है और अगर उसपर कोई टिप्पणी कर दे तो उसे स्वतंत्रता का उलंघन और न जाने क्या क्या कहा जाने लगता है लेकिन स्वयं में ये आंकलन करना बेहद जरूरी है कि इससे क्या प्रभाव पड़ता है ?
ऐसे अधूरे पहनावे में निश्चित तौर से जब कोई पुरुष किसी लड़की को देखता है तो उसके मन का सकारात्मक सोच से भरा होना बिल्कुल मुश्किल भरी बात है , इसी में दो तरह के लोग हो जाते हैं एक जो आत्म नियंत्रित होते हैं और दूसरा जिनका स्वयं पर नियंत्रण नहीं होता। जिनका स्वयं पे नियंत्रण नहीं होता वो कहीं न कहीं दुष विचार की ओर अग्रसित होने लग जाते हैं और अंततः बलात्कार जैसे कुकृत्य कर बैठते हैं। हालांकि इसमें शत प्रतिशत गलती इस इंसान की ही है परंतु आप सोचिये की क्या गलती सिर्फ इसकी ही है या जिस समाज से, जिस लोगों की वजह से इसके मन में ये नीचता आई गलती उसकी भी है ?
अंग प्रदर्शन करना भी वैश्यावृत्ति का एक प्रकार है।
अक्सर लड़कियाँ कह देती है कि मैं ऐसे कपड़ें पहन रही क्योंकि मुझे खुद को अच्छा लगता है , इसमें सोचने वाली बात है कि हमारे पारम्परिक राष्ट्र जहाँ औरतों का सर पर पल्लू रखने की परंपरा है वहाँ ऐसी पसंद आई कैसे , ये जिश्म का दिखावा जिसे असमाजिक , अधर्म माना जाता था आज उसे फैशन और मॉडर्न जैसे नामों से स्वीकारा कैसे का सकता है ?
Bollywood the reason of Rapes -
बॉलीवुड अब पुरानी बॉलीवुड नहीं रहा जहाँ अभिनय और पटकथाएं बेच कर पैसे कमाए जाते थे अब बॉलीवुड जिश्मवुड बन चुका है जहाँ अर्ध नग्न तस्वीरों को बेच पैसे कमाए जाते हैं, अभी के समय में शायद ही ऐसी कोई फ़िल्म आपको दिख जाए जहाँ आप सपरिवार जा सके, ये संभव ही नहीं है।
ऊपर की तस्वीरों में प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं, शायद ये तस्वीर साझा करना उचित न हो लेकिन जरूरी है बताना की इससे हमारे युवा क्या सीखेंगे और उनपर मानसिक रूप से क्या असर पड़ेगा? क्या हम इसे वैश्यावृत्ति नहीं कहेंगे ? शायद आपको इसमें टैलेंट नजर आ रही होगी लेकिन मेरे अनुसार इसमें महज अपने जिश्म का सौदा किया जा रहा है।
ये भी विश्व प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं फिर इन्हें ऐसे कपड़े पहनने की क्या आवश्यकता पड़ी? शायद ये भी अब अपने अभिनय नहीं बल्कि बदन से दर्शकों को लुभाना चाह रही हैं।
अब सोशल मीडया में भी जिस तरीके से ये टैलेंट के नाम पर अंग प्रदर्शन का धंधा चल रहा अगर इसपर सख्त कार्यवाही नहीं हुई तो हमारे देश को और भी रेप केशेस और एक नई विकृत सभ्यता की ओर बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
बातें ये कड़वी हो सकती है लेकिन सच है कि बॉलीवुड अब पूरे देश की सभ्यता को विनाश की ओर ले जा रहा , यह अब फ़िल्म नहीं बल्कि वैश्यावृत्ति का एक हब बन चुका है जहाँ जिश्म दिखा कर पैसे कमाए जा रहे और पूरे देश के युवकों को मानसिक स्तर पर इस ओर खींचा जा रहा है।
कड़वा है मगर सत्य है कि आज लड़कियां ही लड़कियों की दुश्मन बनी हुई है। बड़े परदे पर अंग प्रदर्शन कर अपने गार्ड्स के संरक्षण में वो सकुशल चली जाती हैं लेकिन उसका खामियाजा गलियों में घूम रही मासूमों को चुकाना पड़ता है।