Why Holi is celebrated, होली की पूरी जानकारी

होली खेले रघुबीरा अवध में होली खेले रघुबीरा.... 
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जब भी होली की बात आती है वैसे ही ये गाना खुद ब खुद जहन में चल उठता है, मानो इसके बगैर होली अधूरी हो।
बचपन में अपने घर में कोई संसाधन तो न थी कि इसे सुन पाता लेकिन कुछ अमीर पड़ोसियों के घर में रेडियों पर ये गाने जरूर बज रहे होते थे, और इसी गाने के धुन पर हम बच्चे कच्चे सड़कों पर मस्त धुन में झूम लिया करते थे...ठीक उसी तरह जिस तरह आज के बच्चे DJ की धुन पर थिरका करते हैं।

होली कब मनाई जाती है?

ये महान त्योहार फाल्गुन महीने जो कि मार्च के मध्य में पड़ती है कि पूर्णिमा में मनाई जाती है, या आप बोल सकते हैं, इसी दिन होली की शुरुआत होती है। आज के दिन होलिका दहन मनाई जाती है जिसमें लकड़ी, गोइठा, घी इत्यादि कई प्रकार के सामग्रियों को जलाया जाता है और होलिका दहन को मनाया जाता है , मान्यता होती है कि इस तरह से हम बुराइ को जलाते हैं।
अगर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मार्च के आसपास में वातावरण में कई प्रकार के वायरस घूमते हैं और जब हम ये सारी सामग्रियां जलाते हैं तो इनकी धुवाँ वातावरण को स्वक्ष रखती है जैसे कि गोइठा को ही देख लिया जाए तो ये सिद्ध है कि इसकी धुँवा वातावरण में उपस्थित बैक्टेरिया को मारती है।
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                   अब इसके तुरंत अगले दिन मुख्य होली होती है जिसे हम बड़ी होली, रंगवाली होली, डोल पूर्णिमा, ढुलेटी ढुलांडी, उकुली मंजल, यावोशांग शिगमो या फगवाह। ये सब कुछ नाम थे जो विभिन्न क्षेत्रों में पुकारे जाते हैं। 
          भारत की इस त्योहार की खासियत ही है कि इसमें सारी दुश्मनी को भूल लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं , अबीर लगाते हैं । अब मामला थोड़ा सीरियस हो तो ध्यान रहे, रंग लगाने के बहाने कपार भी फोड़ा जा सकता है। :

होली कब है? 

इस वर्ष होली 28 एवं 29 मार्च को मनाई जा रही है

होली क्यों मनाया जाता है? 

Why Holi is celebrated?


भागवत पुराण के सातवें अध्याय में ये बात लिखी है कि एक हिरणकश्यप नामक एक राजा हुआ करता था जिसने भगवान से आशीर्वाद लिया था कि न उसे कोई इंसान मार सकता है ना जानवर, न घर के भीतर मार सकता है ना बाहर, न दिन में मार सकता है ना रात में। 
         आशीर्वाद मिलने के बाद हिरण्यकश्यप बिल्कुल बेखौफ हो अपनी मनमर्जी करने लगा जैसे कि "अपुन हिच्छ भगवान है" और उसे वाकई में भगवान बनने की इस क़दर सौक थी कि उसने पूरे राज्य में ये सूचना भेजवा दी कि अब भगवान के जगह उसकी पूजा की जाए। लोग मजबूरी वस ऐसा करने लगे... 
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          हिरण्यकश्यप का पुत्र था प्रहलाद जो कि भगवान विष्णु का खतरनाक वाला भक्त था, कहते हैं ना कि "घर का भेदी लंका ढाए" यहाँ भी कुछ ऐसा ही हुआ, सभी पूजा करने के लिए तो तैयार हो गए हिरण्यकश्यप का लेकिन प्रहलाद तैयार नहीं हुआ। 
        
            प्रहलाद के इस तरह से इंकार करने पर हिरण्यकश्यप का टी रि री री री.... हो गया। अब हिरण्यकश्यप ने निश्चय किया कि वो प्रहलाद की हत्या कर देगा.... 
पहले हिरण्यकश्यप ने ये काम अपनी बहन होलिका को सौंपी, होलिका के पास एक ऐसी शाऊल थी जिसे ओढ़ लेने पर वो नहीं जलती, होलिका इसी का फायदा उठाने की कोशिश की और प्रहलाद को लेकर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई, खुद तो शाऊल ओढ़ी थी लेकिन प्रहलाद यूँ ही भगवान की भक्ति में मग्न था। लेकिन परिणाम कुछ और ही हुआ , होलिका जल गई और प्रहलाद बच गया।   
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       हिरण्यकश्यप की कोई युक्तियां काम न आई इसलिए उसने खुद ही प्रहलाद को मारने का ठाना, लेकिन आज उसका खुद का अंत निश्चय था , जब वो प्रहलाद की हत्या करने जा रहा था उसी वक़्त भगवान नरसिंह अवतार में अवतरित हुए जो कि आधा इंसान और आधा जानवर थे, संध्या काल में चौखट पर बैठ कर वो हिरण्यकश्यप का वध कर दिए इस प्रकार से हत्या करने के कारण जो आशीर्वाद हिरण्यकश्यप को मिला था उसका मान भी रह गया और उसकी हत्या भी हो गई।
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होली की दूसरी आस्था...


एक बार भगवान शिव ध्यान में बैठे थे, तभी माता पार्वती उनसे मिलने पहुँची और काफी प्रतीक्षा के बाद भी भगवान शिव अपने ध्यान से नहीं जगे। ये सब देखने के बाद कामदेव को ये सब देखा नहीं गया और उन्होंने माता पार्वती की मदद की ठानी , योजना स्वारूप उन्होंने एक बाण भगवान शिव पर चलाया इसका परिणाम ये हुआ की भगवान शिव जग तो गए परंतु उन्होंने क्रोध वश अपने तीसरे आँख से कामदेव को भष्म कर दिया।
कुछ वक्त माता पार्वती और कामदेव की धर्मपत्नी द्वारा सारी बात पता चलने के बाद उन्हें अपनी भूल की एहसास हुई और उन्होंने वापस कामदेव को जीवन दान दे दिया।
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Why Holi is celebrated, होली की पूरी जानकारी Why Holi is celebrated, होली की पूरी जानकारी Reviewed by Story teller on मार्च 29, 2021 Rating: 5
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