I am broken!! दास्तां एक इश्क़ की - Hindi love story

भाग 1/4

कितना मुश्किल हो सकता है एक बार बिखर जाने के बाद दोबारा खुद को समेटना , एक दफा टूट जाने के बाद दोबारा टूटे हर कतरों को जोड़ फिर खड़ा होना, कितना मुश्किल हो सकता है किसी के लिए वफ़ा की झूठी खाई में गिर दोबारा वफ़ा की ही जंजीरों को पकड़ वापस जीवन को जिना !!

               श्याम को यकीं नहीं था कि इस लड़की के बीते कल की गहरी यादें कभी श्याम को प्रभावित कर सकती है, लेकिन जब इसने कहा कि "मैं टूट चुकी हूँ, अब मन नहीं होता ये सब करने का" अब मानो की श्याम की रंगीन ख्वाइशें पल भर में एक गहरी सी चोला ओढ़ हमेशा के लिए ओझल हो गई, मानो आज हर एक अरमानों ने टूट कर कहा था कि तवज्जो मोहब्बत की कहाँ होती है , आज भी ये निसहाय है किसी की बेवफाई के आगे।

       करीबन एक वर्ष पहले की बात होगी, इनटर्नल के नाम पर श्याम को कॉलेज बुलाया गया था और श्याम को ना चाहते हुए भी कॉलेज जाना पड़ा , बात है कि श्याम हाल ही में ज़ेवियर से अपनी इंजीनियरिंग पूरी कर के इस कॉलेज में आगे डिग्री लेने आया था लेकिन आसमां से सीधे जमीं पर आना किसे पसंद? इसलिए उसे कॉलेज जाने की कभी मन नहीं होती थी। 

लिखनी क्या है क्वेश्चन पता चला? श्याम ने कॉलेज पहुँच अपने दोस्त से पूछा, नहीं!! चलो न ऑफिस में पता करते हैं... रंजीत ने श्याम से कहा। श्याम और रंजीत फर्स्ट फ्लोर से नीचे आ रहे थे ऑफिस की ओर जाने के लिए, तभी पहले से ही ऑफीस के सामने कुछ लड़कियां खड़ी थी और उनके बीच में ही दिखी एक बेहद प्यारी बिल्कुल इंडियन एथनिक वियर के साथ एक करिश्मा , करिश्मा इसलिए क्यों कि श्याम ने वेस्टर्न कपड़ों की नुमाईश करने वालों को कई दफा देखा था लेकिन इस शालीनता के साथ बिल्कुल सभ्य अंदाज में खड़ी ये लड़की महज श्याम की नहीं बल्कि किसी की भी ख्वाबों की शहजादी हो सकती थी... उसे देखकर श्याम के पाँव बिल्कुल थम से गए, पता नहीं जहन में कैसी झिझक सी हो रही थी लेकिन ये उसके पास नहीं जाना चाह रहा था, अक्सर लोग किसी खूबसूरत सी कन्यां को देख उसके समीप जाने की कोशिश करते हैं लेकिन आज श्याम उस शहजादी की बिल्कुल किसी छुईमुई घाँस की तरह देख रहा था जिसके समीप जाने से शायद वो मुरझा जाए, शायद जो खुशी उसके चेहरे पर अभी झलक रही थी इसके पास जाने पर वो खत्म हो जाये!! 

                 रंजीत थोड़ा रुक जा ना कुछ देर में चलते हैं , काफी भीड़ है वहाँ... श्याम ने रंजीत से कहा।अबे भीड़ बना रहेगा भाई चलो जल्दी से ले लेते हैं, वरना पेपर सबमिट नहीं कर पायेगा।

अब रंजीत को कैसे समझाता श्याम की आज से वो अपनी शामें किसी सादगी से भरी मधुबाला के नाम कर चुका है, पल भर में वो दूर होकर भी वो इतनी करीब आ गई है कि उससे दूर होकर भी दूर जाना अब संभव नहीं!! 

    कुछ देर के बाद वो ऑफिस के सामने से चली गई ,वो कुछ देर करीबन आधा घण्टा था ये श्याम को पता नहीं चला अब श्याम और रंजीत भी जल्दी से ऑफिस के सामने गए और क्वेश्चन पेपर लेकर लिखना शुरू कर दिए... इस दौरान कई दफा श्याम की नजरें उस मधुबाला को तलाश रही थी जिसने क्षण भर में श्याम के दिल में कभी न मिटने वाली तस्वीर बना ली थी...लेकिन दिख नहीं रही थी। 

       करीबन डेढ़ घण्टे के बाद श्याम और रंजीत का पेपर पूरा हो चुका था लेकिन जब वो सबमिट करने गए तो पता चला कि समय अधिक हो चुका है, आज जमा नहीं होगा।

श्याम ने चुपचाप रंजीत को देखा जो गुस्से से तमतमा रहा था...फिर क्या अपनी बसंती पे सवार श्याम गाड़ी चला रहा था, पीछे बैठा रंजित पूरे रास्ते श्याम को सुनाता रहा था लेकिन श्याम के जहन में महज उस शहजादी की तस्वीरें घूम रही थी जो क्षण भर के लिए मानो किसी और दुनियां से आई हो और अगले ही क्षण वो चली गई।      


कभी कॉलेज न आने वाला श्याम अगले ही दिन कॉलेज चला गया इस बहाने से की उसे पेपर सबमिट करनी है, लेकिन यहाँ महज पेपर नहीं बल्कि ये दिल भी किसी के हवाले करनी थी उसे। वो करीबन साढ़े दस बजे कॉलेज पहुँच गया, पहुँचते ही उसकी आँखें संयमता खो उसकी तलाश में लग गई जिसे वो कभी खोने नहीं देना चाहता था...घण्टों बित गए थे इन आँखों को उसे एक दफा देख लेने की जतन में। घण्टों खुली रही इन आँखों को कैम्प्स में उड़ रही धूल ने धुंधला सा कर दिया और अरमान तो पहले ही धुंधला से गए थे।

             भाई वो भी नहीं आई यार...रंजीत ने श्याम से कहा। वो भी कौन ? श्याम ने रंजीत से पूछा। भाई उस लड़की के साथ एक और आई थी श्रिया नाम था उसका... हमलोग 4-5 शाल से एक दूसरे को जानते हैं लेकिन कभी अच्छे से बात नहीं कर पाए।

अब श्याम अचरज भरी निगाहों से रंजीत को देख रहा था , ये लड़का जो कल बड़ी-बड़ी बातें कह रहा था उसका खुद का एक सीन है और ये महज श्याम के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए कॉलेज आया था।

               खैर अब क्या ही कहा जाए, इश्क़ ही तो है जो कभी भी किसी से भी हो सकती है...कोई कंडीशन नहीं...कुछ नहीं।

         आखिर वक़्त की एक लंबी पहर के बाद अपना पेपर जमा कर रंजीत और श्याम वापस चले गए...कॉलेज से निकलने के दौरान श्याम की नजरें कई दफा पीछे मुड़ी, की काश ऐसा हो कि ठीक पीछे वो अचानक दिख जाए, अचानक कहे कि इतनी जल्दी क्यों जा रहे हो।

         अबे जल्दी नहीं है ये तीन बजे रहे हैं अभी ... तीन और इस वक़्त कॉलेज में कुत्ता भी रहना पसंद नहीं करता उन सबों को तो भूल ही जाओ। मनोभावना को समझ रंजीत ने जो तंज कसा था वो बिल्कुल सही था लेकिन कई दफा सच को स्वीकारना बड़ा मुश्किल होता है।


     आखिर श्याम और रंजीत दोनों अपने घर चले गए, घर पहुँच श्याम ने सोशल मीडिया को पूरा छान मारा की कहीं तो वो दिख जाए, श्याम की निगाहें बिल्कुल पलक को स्थिर रख उसे यूँ ढूंढ रहा था मानो समुद्र में उतर एक गोताखोर किसी बेशकीमती मोती की तलाश में हो, ठीक उसी तरह जैसे कन्हैया की गायें इससे मिलने को बेताब हो...ठीक उसी तरह जैसे.... अब प्यार को शब्दों में बयां कर पाना कहाँ संभव है अगर होता तो आज श्री कृष्णा, राधिका पर एक उपन्यास लिख चुके होते लेकिन कहाँ सम्भव है दीवानगी को लफ़्ज़ों के धागों में पिरोना।

          महीनों बीत गए लेकिन उसकी कोई खबर न थी, यहाँ श्याम उसके नाम से भी अभिज्ञ था। बीतते हर वक़्त के साथ वो एक धुंधली सी याद में तब्दील होती जा रही थी ,ये ठीक उसी सपनों की तरह थी जो सपनों में तो थी लेकिन हकीकत से उसका कोई वास्ता न था।

            करीबन 7-8 महीने के लंबे प्रतीक्षा के बाद अब चौथी सेमेस्टर होनी थी... इस लंबे से फासले ने सब धुंधला सा कर दिया, लेकिन अब भी उसका चेहरा न धुंधला पाया था, उसकी शालीनता, भारतीयता आज भी श्याम के जहन में एक ऐसी गहरी स्याही से छप चुकी थी जो शायद कभी न मिटने वाली थी।                

       

               आज बात तो कर ही लेनी है उससे , पिछले दिन परीक्षा कुछ हो ही नहीं पाया...श्याम ने रंजीत, राहुल और अन्य दोस्तों से कहा जो दूसरी परीक्षा देने के लिए कॉलेज आये थे। पिछली बार सारा वक़्त तो महज देखने में ही पार हो गया कहीं आज भी ऐसा न हो जाये...श्याम मन ही मन मंथन कर रहा था।

अगर आज बात नहीं किया न तो तू भूल जा रंजीत ने श्याम से कहा... और ये बात काफी हद तक श्याम को सच लगी।

       कुछ ही देर में वो मधुबाला कॉलेज आ चुकी थी, और पता नहीं क्यों कई दफा श्याम की नजरें उससे टकरा रही थी जिससे श्याम को अच्छा भी लग रहा था और थोड़ा असहज भी। 

          परीक्षा खत्म कर श्याम बाहर वेट कर रहा था कि कब वो आये और श्याम उससे बात करे...आखिर वो अपने क्लास के बाहर आई, अब श्याम कॉलेज से ठीक बाहर रास्ते पे अपने किसी दूसरे दोस्त के साथ के साथ उसकी प्रतीक्षा कर रहा था... पता नहीं कैसे लेकिन आज वो कॉलेज से बाहर अकेले आ रही थी, ज्यों ही सामने से गुजर रही थी वैसे ही श्याम ने पूछ लिया नाम क्या है तुम्हारा... इतना सुनते ही वो लगभग दौड़ पड़ी शायद अपने उन दोस्तों की ओर जो उससे कुछ मीटर आगे थे, श्याम को लगा हो गया सत्यानास तभी कुछ आगे जाकर वो बोली "Queen" श्याम ने तुरंत पूछा "What Queen" दोबारा उसका रिप्लाई आया Queen और ये भाग गई....!! अब भाई महज क्वीन के नाम से इसे कैसे ढूंढा जाता फेसबुक, इंस्टाग्राम पर तो कई अपने आप को क्वीन और परी घोसित कर चुके हैं लेकिन उन क्वीन में से अपने शहजादी को कैसे ढूँढा जाता । उसके जाते ही श्याम का दोस्त बोल पड़ा भाई तुम नाम कैसे पूछ लिया उससे जैसे मानो नाम नहीं मैंने ISIS से उसका ठिकाना पूछ लिया हो।

          पूरा परीक्षा खत्म होने के बाद एक्सपर्ट्स की राय आनी शुरू हुई Queen के मामले में , कइयों ने अपने राय रखे जिसमें से एक का पॉइंट वैलिड था कि ये क्वीन "रानी" हो सकती है,  शायद उसे अपना नाम इंग्लिश में बताना हो इसलिए उसने ऐसा कहा। और ये बात श्याम को बिल्कुल ठीक लगी। लेकिन उसे कौन सा एलिजाबेथ बनना है जो Queen बोलेगी खैर आजकल की परियां ऐसी ही होती है...कुछ भी हो सकता है। और आज क्वीन शब्द को साथ लिए श्याम घर के लिए निकल पड़ा, आधे घण्टे में घर पहुँच जाने वाला श्याम को करीबन 45 मिनट हो चुके थे फिर भी वो घर से करीबन 4 किलोमीटर दूर था... कुछ ही दूर आगे निकला था कि गाड़ी ने कुछ हिचकी ली और बंद हो गया,एव तक अंधेरा हो चुका था और रास्ता भी काफी सुनसान थ।

श्याम को याद आया कि वो आज तेल डलवाना भूल गया है, जिसका अच्छा खामियाजा भुगतना पड़ने वाला है आज। उसने रिजर्व में गाड़ी को चलाना शुरू किया लेकिन करीबन एक किलोमीटर के बाद इसने भी दम तोड़ दिया। अब सारी आशिक़ी पसीना बन निकल रही थी गाड़ी को धक्का लगा करीबन एक किलोमीटर ले जाना था जहाँ पे तेल मिल जाती....मेहनत जो लगा सो लगा लेकिन इज्जत का भी अच्छा फलूदा हो गया आज।किसी तरह से गाड़ी को धक्का लगा उसे लोकल दुकान तक पहुँचाया और अपनी बसन्ती की प्यास को शांत किया।

      आज की रातें अगले दिन की सब्जेक्ट पर नहीं बल्कि क्वीन पर फोकस्ड थी और हो भी क्यों न, डूबते सूरज को अगले दिन का पता जो मिल गया था अंधेरी सी रातों को किसी ने दीपक की हल्की रोशनी जो दिखाई थी। प्यार में ऐसा ही तो होता है ना एक हल्की सी उम्मीद में इंसान आसमां की उड़ाने लगाने लगता है , ख्वाइशें अपने पंख फैला एक अंनत अम्बर की ओर उड़ जाती है जिसकी कोई अंत नहीं । आज श्याम ने न जाने कितने क्वीन को देख डाले होंगे इंस्टा और फेसबुक पर लेकिन अगर कुछ मिली तो वो थी महज निराशा। 

            शाम को छत पर बैठ चाय की चुस्कियों में खोए श्याम के फोन की अचानक घण्टी बजी देखा तो रंजीत का फोन था...

 "हाँ भाई बोल" श्याम ने रंजीत से कहा

सब बढियां...तुम बताओ ब्रो... रंजीत ने श्याम से एक मजाकिया व्यंग्य के साथ पूछा जिसका श्याम के पास कोई जवाब न था। जल्द ही पता चला कि ये कॉल कॉन्फ्रेंस कॉल थी जिसमें राहुल, रंजीत, शिवानी और सुधा थी। बातों का एक लंबा सफर चलता रहा लेकिन इतने लोगों मि मौजूदगी में भी किसी की नामौजूदगी साफ खटक रही थी...         


आखिर पूरी परीक्षा खत्म हुई, श्याम ने कई दफा नजदीकियाँ बढाने की कोशिश की लेकिन सफलता के करीब जा कर भी करीब न पहुँच सका ।

                खैर अब श्याम को यकीं थी कि क्वीन से ये मुलाक़ात शायद आखिरी थी और अब इन सारे चीजों से खुद को दूर कर वो अपनी ज़िंदगी के अगले पड़ाव की तैयारी करने लगा...काफी मुश्किल थी ये सोचना भी लेकिन ये सच थी...अब महज छः महीनों में कॉलेज भी खत्म होनी थी और इसके साथ उसके मिलने की उम्मीदें भी ।


भाग 2/4

अभी वसंत पंचमी की समय थी इस बार श्याम और उसके सारे दोस्तों का इरादा था को कॉलेज की वसंत पंचमी हम लोग मनाएंगे और अच्छे से मनाएंगे। सबों ने तैयारियां शुरू कर दी और अपने दोस्तों के कारण कॉलेज द्वारा श्याम को इस कार्यक्रम का अध्यक्ष भी चुन लिया गया... फिर क्या लग गए सभी पूजा की तैयारी में।

  कल पूजा थी इसलिए आज रंजीत , राहुल और श्याम समेत कई लड़कों ने निर्णय किया कॉलेज में रात बिताने की चुकी डेकोरेशन करनी थी और मूर्ति भी आ चुकी थी तो उसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं था... ये काफी मेमोरेबल डे थी श्याम के लिए, क्यों कि ये सब ठीक लिट्टी चोखा खा , जमीन पर सीढ़ी को तकिया बना उसी तरह सो गए मानो किसी नाईट कैम्प पर आए हों।
                 
                    अबे उठो इसको सजाना है नहीं हुआ है अभी तक, सुबह करीबन पौने छः बजे श्याम के कानों में रंजीत की आवाज आ रही थी...और श्याम बिल्कुल कम्बल टान सोया पड़ा था जैसे उसे बस नींद चाहिए और कुछ नहीं फिलहाल... अरे भैया क्वीन लोग आ गई है डेकोरेट करने, जल्दी उठिए नहीं तो फालतू में बेइज्जती होगा... श्याम को याद आया कि वो तो शर्टलेस है... वो फटाक से उठ सामने सीढ़ी पर टँगे अपने जैकेट को पहनने लगा... श्याम को देख राहुल और रंजीत हंसने लगे तब जाकर श्याम को इनकी गुस्ताखी का अंदाजा लगा।
       
            करीबन दस बज चुके थे श्याम वगैरह रंजीत के घर जो कॉलेज से करीबन 5-6 किमी दूर होगी से तैयार होकर आ गए, श्याम पूजा पर बैठा मन्त्रों का अनुसरण कर रहा था.... करीबन दस मिनट के बाद कुछ लड़कियां आती दिखी उसमें से एक थी क्वीन!! अब भगवान ने तो कमाल ही कर दिया था और श्याम को डिस्ट्रैक्ट करने की पूरी कोशिश की गई थी... श्याम के मन हर तरह से बस क्वीन की ओर देखना , बात करना चाह रहे थे लेकिन नहीं... परिस्थिति कैसी भी हो तवज्जो तो भगवान को ही मिलेगी और श्याम बिल्कुल बजरंग बली का भक्त बन पूजा में बैठा रहा...!!   

आखिर पूजा खत्म हुई, श्याम ने जल्द ही चरणामृत उठा कर बांटना शुरू कर दिया ताकि सबों को बांटने के दौरान वो क्वीन तक भी पहुँच सके...

              आखिर सबों को बांटते हुए वो क्वीन के पास पहुँचा... बिल्कुल हल्की रंग रंग की सूट शायद लाल रंग का दुपट्टा में बताया नहीं जा सकता था कि कितनी प्यारी लग रही थी वो...तब मानो श्याम शायर बन उकेर दे उसे शब्दों से अपने लेकिन लोगों की मौजूदगी के कारण कुछ बोल न सका... बस वो क्वीन के सामने गया और क्वीन ने भी शालीनता से चरणामृत ले लिया बस श्याम इतना ही कह सका की रख लो आर्शीवाद की जरूरत है तुम्हें!

           इसके बाद प्रसाद वितरण में सभी लग गए और श्याम को भी उलझना पड़ गया, हालांकि मन तो हो रही थी कि बस क्वीन के पास जाकर ढेरों बात करे लेकिन कहाँ सम्भव थी । 

वक़्त काफि हो चली थी और पेट में चूहों ने भी कलाबाजियां दिखाना शुरू कर दिया था...अब श्याम कुछ बुंदिया लेकर कॉलेज के ग्राउंड में जाकर खाने लगा इस वक़्त उसके जहन में न क्वीन थी और न ही कोई और बस भूख मिटानी थी.... बुंदिया खत्म करने के बाद पास में लगे चापाकल की ओर जाने लगा तभी देखा कि क्वीन अपनी दोस्त श्रिया के साथ वहीं खड़ी हो बुंदिया खा रही थी।

     श्याम बड़ी हिम्मत कर के वहाँ गया और बिन कुछ कहे हाथ धोने लगा तभी अचानक से बोल पड़ी "भैया बुंदिया खाएंगे ?".... श्याम बिल्कुल शॉक्ड, क्या था ये? अरे था क्या ये!! मतलब कुछ भी बोल लो चलेगा, कुछ नहीं भी बोलो वो भी चलेगा लेकिन ये तो बिल्कुल नहीं चलेगा.... अरे बात ही मत करो ये बेहतर है लेकिन भैया मत बोलो दिल पर लगती है!!

         अब श्याम महज न बोलकर चुप रहा, लेकिन क्वीन के चेहरे की एक्सप्रेशन भैया वाली तो नहीं थी तो फिर ये एक्सपेरिमेंट मेरे पर क्यों करी ? श्याम मन ही मन सोच रहा था।

           उसके बाद श्याम बिल्कुल प्रश्नचिन्ह ले वहाँ से चला गया,  कुछ देर तक इसकी भागदौड़ इधर उधर होती रही सबों को प्रसाद बांटना और संतुष्ट करना ये बेहद बड़ी बात होती है। आखिर में श्याम बाहर ग्राउंड गया तो देखा कि क्वीन वापस जाने की तैयारी कर रही है, श्याम ने क्वीन की दोस्त से पूछा प्रसाद मिला? उसने बताया कहाँ मिला है ऐसे ही जा रहे हैं हमलोग। रुको मैं लाकर देता हूँ... क्वीन ने कहा ठीक है, हमलोग यहीं वेट कर रहे हैं....और पता नहीं कैसे बातों की शिलशिला शुरू हो गई... 

     श्याम ने क्वीन से पूछा... क्वीन नाम बताई थी न तुम....? अच्छा तो वो तुम थे , मुझे पता होता तो मैं बताती भी नहीं...क्वीन ने जवाब दिया

       श्याम को लगा अच्छा तो आज बेइज्जती की सीरीज चलने वाली है हमारी!! ये अच्छे से पहचाने के बावजूद अजनबी बन जाने की इसकी अभिनय तारीफ के लायक है वैसे....फिर भी श्याम ने इस मसले में क्वीन को जीतने दिया...अब प्यार में जो तुम कहो वही सही!!

 क्वीन ने जैसे बोलना बंद किया वैसे ही उसकी दोस्त श्रिया बोल पड़ी "रानी" नाम है इसका, ये क्या स्टोरी चल रही है तुमलोगों की? क्वीन न जवाब दिया "स्टोरी शुरू ही कहाँ हुई है" इस लाइन को सुन श्याम के सारे शिकवे दूर हो गए... क्या राईमिंग थी वाह!! श्याम बस स्पीचलेस हो क्वीन को सुनने की यूँ कोशिश कर रहा था मानो कि उसकी बातें महज बातें नहीं बल्कि किसी गिटार की धुन हो... और मन ही मन अपने दोस्तों के भविष्यवाणी की दाद दे रहा था। लेकिन तभी श्याम को लगा कि मैं चुप क्यों रहूँ ? ये पूछ पड़ा फेसबुक आईडी क्या है तुम्हारा? 

नहीं चलाती मैं... क्वीन ने कहा। 

झूठ मत बोलो...श्याम ने कहा

अरे सच में नहीं चलाती ये... श्रिया ने श्याम से कहा

झूठ बोल रही है ये तुमसे, पूछो चलाती है कि नहीं... श्याम ने श्रिया को क्वीन की ओर इधार करते हुए कहा।

कमीनी झूठ बोली मेरे से की नहीं चलाती है...बेस्ट फ्रेंड है ये मेरी फिर भी!! श्रिया ने क्वीन की ओर इशारा कर श्याम से कहा।

नहीं , सच में नहीं चलाते, इसका बात क्यों सुन रही हो...तुम्हें मेरे पे भरोषा नहीं है? क्वीन ने श्रिया से कहा।

श्याम ने पूछा और इंस्टाग्राम ? 

हाँ, इंस्टाग्राम चलाती है... श्रिया ने जवाब दिया!!

आईडी क्या है ? श्याम ने श्रिया से पूछा...?

श्रिया ने कहा क्यों कर रहे हो समझो न, इसकी शादी होने वाली है...!!

वो तो मेरी भी शादी होगी कभी न कभी इसमें क्या है!! श्याम ने कहा। 

गजब का आशिक है... क्वीन ने धीमे स्वर में कहा!!

मैं आशिक़ हूँ? हो सकता है ये आशिक़ी होगी, श्याम की जहन में ये बातें चल पड़ी।

मैंने इंस्टा आईडी पूछा...श्याम फिर बोल पड़ा!!

क्यों... पहले ये बताओ!! शादी करनी है? चलो करते हैं!! क्वीन बिल्कुल बोल्ड होकर श्याम से बोल पड़ी!!

ये सुन श्याम बिल्कुल शॉक्ड, जिस हिसाब से ये पूछी न अगर कोई सुन ले तो कहेगा कि लड़का परेशान कर रहा है लड़की को, और कई वीडियोज तो ऐसे आते हैं जिनमें जबरन शादियां करवा दी जाती है ऐसे माहौल में... मम्मी को बहु चाहिए लेकिन इस तरह से तो मुझे भी घर में नहीं घुसने देंगी वो... श्याम मन ही मन सोच रहा था!! 

डरा रही हो मुझे...श्याम ने क्वीन से पूछा!!

नहीं... लेकिन अब बोल कर क्या फायदा , वैलेंटाइन तो पार हो गया कहना चाहिए था न उस दिन, मैं तो कॉलेज आई थी...क्वीन ने श्याम से कहा।

अब श्याम फिर परेशान , चाहती क्या हो ? अरे तुम जिस दिन हाँ कहो उसी दिन वैलेंटाइन है हमारी...किसी तारीख के मोहताज थोड़ी हैं हम तुमसे प्यार करने के लिए...श्याम मन ही मन सोच रहा था!!

प्रसाद ला रहे हो कि हमलोग जाएं? श्रिया ने श्याम से पूछी।

अरे नहीं लाएगा बस मजाक कर रहा है...क्वीन बोल पड़ी!!

अध्यक्ष हूँ मैं इस पूजा समिति की, एक बुंदिया लाकर नहीं दे सकता, रुको तुमलोग मैं आता हूँ!! श्याम ये बोलकर चला गया।

कुछ देर के बाद श्याम प्रसाद लाकर आया और उनलोगों को दे दिया...इस बार वो कुछ खास बोल नहीं पाया, शायद अब बात सेल्फरिस्पेक्ट की आ गई थी...वो लोग आखिर कर चले गए और इस बार श्याम बस लौट आया....बगैर किसी शिकायत, बगैर किसी अफसोस के।

अगले दिन फिर पूजा थी, सभी आए शिवाय क्वीन के। श्याम की आंखें राह तो देख रही थी उस क्वीन की लेकिन अगर मिली तो उसे कहना क्या है ऐसे कोई लफ्ज़ नहीं थे उसके पास... उसकी प्रेम कहानी मानो बस बहती चली ही जा रही हो जिसकी अंत का पता नहीं।

आज प्रतिमा विसर्जन हो चुकी थी ...श्याम वापस अपने घर चला आया ... उसके जहन में बस उसकी बातें घूम रही थी... आखिर ऐसी क्या बात है कि महज एक इंस्टाग्राम आईडी मांगने पर शादी तक पहुँच गई वो... या तो हम जिस सोसाइटी में रह रहे हैं उसकी मनोभावना खराब है या उसे मेरे बारे में पता थी... या शायद इस प्रेम की अनसर्टेन रास्तों पर उसे और यकीन नहीं थी, शायद उसे प्यार पे भरोषा ही न हो कि कोई वाकई में साथ निभा सकता है...मुझे उसने कुछ पूछा भी नहीं कि मैं उसे कुछ एक्सप्लेन कर पाऊं...!!

              काफी दिन हो गए थे अब उसकी कोई खबर न थी और ना ही सम्पर्क की कोई माध्यम ... अब वो एक ऐसी हवा की झोंका बन गई थी जो कभी भी मिल जाती और बस कुछ पल की सुकूँ दे फिर कहीं गुम हो जाती...प्रेम की ये लुकाछिपी में श्याम चोर बनता है या राजा ये बस देखनी थी।

भाग 3/4


आज कॉलेज में कुछ प्लेसमेंट एजेंसी आने वाले थे और श्याम की प्रैक्टिकल भी थी... चुकी कॉलेज जाना ही था तो उसने सोचा क्यों न एक तीर से दोनों शिकार कर लिया जाए। इसलिए श्याम कॉलेज चला गया।
         जब श्याम कॉलेज गया तो देखा कि बाकी दोस्त भी पहुँच चुके हैं, फिर क्या कॉलेज में बैठ गप्पें लगना शुरू अभी तक प्लेसमेंट शुरू नहीं हुई थी। तभी श्याम को याद आया कि प्रैक्टिकल तो शुरू हो गई होगी...वो भाग कर गया तो वाकई में ये शुरू हो गई थी वो तो अच्छा हुआ कि सही वक्त पर जा कमान संभाली वरना इस बार फेल होना तय था।

             श्याम वापस अपने दोस्तों के साथ आ बैठ गया। रंजीत ने चुपके से बताया कि कल शिवानी , क्वीन के साथ घूम रही थी!! शिवाणी वो भी क्वीन के साथ फिर क्या शिवानी से प्रश्न के तोपें दागे जाने लगे... 
हाँ मैं तो उसे जानती हूँ, दोस्त है वो मेरी यकीन नहीं हो तो रुकिए फोन कर के पुछवाती हूँ और इतना कह वो फोन लगा दी....और जिस गति से ये सब आज हो रही थी वो सोच से परे थी, जिसे महीनों से तलाशा जा रहा था आज वो अचानक इतने सामने आ चुकी थी कि इसको बताया नहीं जा सकता है। 
       तुम मुझे फों दो मैं बात करता हूँ, श्याम ने शिवानी से कह फोन ले लिया... कॉल पे कोई और नहीं बल्कि आज खुद क्वीन थी... ये इतनी अमेजिंग फीलिंग हो सकती है ये श्याम ने कभी महसूस नहीं किया था।
हाय क्वीन... श्याम ने क्वीन से कहा।
अरे तुम!! क्वीन ने बिल्कुल आश्चर्य होते हुए कहा।
आज पहुँच गया न बिल्कुल पास...तुम्हारे मदद के बगैर।
हाँ...लेकिन..... !!
श्याम बस इतना ही सुन सका कि नेटवर्क गायब।
श्याम दोबारा छत पर जाकर फोन लगाया...
तो क्वीन अब मैं दूर ही रहूँ या पास आ सकता हूँ। श्याम ने पूछा!!
नहीं... अभी नहीं, अभी मैं तो तुम्हें जानती भी नहीं।
तो नम्बर दे दो न अपना, जान जाओगी... श्याम ने क्वीन से कहा।
देखो नम्बर मेरा बंटना नहीं चाहिए अभी, मैं अभी नम्बर नहीं दूँगी, तुम समझ नहीं रहे हो। क्वीन थोड़ा टेंशन में श्याम से बोली।
टेंशन मत लो क्वीन, मैं नम्बर चुराऊंगा नहीं, तुमसे लूँगा.... श्याम ने इतना ही बोला था कि फिर फोन कट।
लेकिन इस बार श्याम सन्तुष्ट था, उसकी चंद ख्वाइशें आज पूरी हुई थी। बिल्कुल उसी तरह जैसे, जैसे वर्षों कैद मयूर को आज बारिष की एहसास हुई हो, बिल्कुल वैसे ही जैसे पतझड़ के बाद पेड़ों को नए पत्ते की एहसास हुई हो... ये प्यार ऐसा ही तो होता है, गर हो गई तो बस हो गई।

 क्या भैया वही थी न, शिवानी, श्याम से पूछ पड़ी। अरे तुम्हें क्या बताऊँ मैं तुम क्या लेकर आई हो मेरे पास, ये तो चिराग तले अंधेरा थी। जिसे मैं करीबन एक शाल से ढूंढ रहा था वो तम्हारी दोस्त निकली... थैंक यू शिवानी।
      चलिये-चलिये अब तो मिल गई न भाभी... शिवानी ने कहा।
भाभी बनने से पहले भयंकर झंझट है रे... तुझे कैसे बताऊँ मैं.... श्याम मन ही मन सोच रहा था।
अच्छा फ़ोटो है ना उसकी...भेज तो मुझे, श्याम ने कहा।

गुलाबी साड़ी में लिपटी खुद एक गुलाब लग रही है ये... मुझे तनिक भी एहसास हो की किसी बात से ये नाराज हो सकती है तो मैं कभी न करूँ, मैं कभी इस गुलाब की पंखुड़ी को फीकी न पड़ने दूँ... श्याम उसकी फोटो देख सोच रहा था!! जैसे जैसे करीबियां बढ़ रही थी वैसे वैसे ये मोहब्बत भी बढ़ती जा रही थी...मंजिल का तो पता नहीं लेकिन ये राहें बेहद प्यारी थी...बेहद।

आज घर आ श्याम के कई घण्टे उन तस्वीरों में ही उलझी रही जो उसे शिवानी दी थी...अगर लिखा जाए तो एक उपन्यास लिख दूँ मैं इसकी शालीनता पर...श्याम मन ही मन सोच रहा था

फोन क्वीन को दे रहे हैं भैया...शिवानी श्याम को बोली।
पूछ रही हो कि डरा रही हो मुझे... श्याम ने मजाकिया लहजे में शिवानी से कहा

हेलो... ये क्वीन की आवाज थी।
जब इश्क़ होती है ना तो इस क़दर होती है कि उसके हर एक बातों से प्यार हो जाती है... हो तो गई थी न!!
भैया... शिवानी ने कहा
हाँ, श्याम ने जवाब दिया
अरे कितनी देर से आवाज दे रहीं हूँ आप सुन ही बहिन रहे हैं...
अरे सॉरी ...क्वीन हमारी स्टोरी का क्या होगा? 
देखिए मुझे इन सबों में कोई ईन्ट्रेस्ट नहीं है... क्वीन ने कहा
लेकिन क्यों, प्रॉब्लम क्या है? 
मैं टूट चुकी हूँ, अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती, इंसान हूँ मैं जानवर थोड़ी न की बस सहती जाऊँगी... श्याम के बातों का क्वीन ने जवाब दिया।
तो क्या चाहती हो क्वीन तुम?
की अब आप मुझे मैसेज मत करिए... पिछले कुछ दिनों से इंस्टाग्राम पर चंद बातें शुरू हुई थी जिसके बारे में क्वीन बोली।
ठीक है क्वीन अगर तुम चाहती हो तो मैं कभी नहीं करूँगा...!!
ये सुन क्वीन फों वापस शिवानी को दे दी।
थोड़ी देर बाद श्याम को लगा कि थोड़ा जल्दी हार नहीं मान लिए... शिवानी वापस फोन दो उसको, श्याम ने शिवानी से कहा।
हाँ बोलिये... फोन पर क्वीन बोली।
क्वीन क्या ये जरूरी है कि हर एक इंसान एक सा निकले, हर एक इंसान तुम्हें चिट ही करे? श्याम ने क्वीन को समझाने की बेहद कोशिश की लेकिन असफल रहा।
फोन कटने के बाद उसने निर्णय कर लिया कि अब वो क्वीन से सम्पर्क नहीं करेगा, बेहद मुश्किल भरा निर्णय है लेकिन किसी को पाना ही प्यार तो नहीं हो सकता न।
श्याम ने इंस्टाग्राम पर क्वीन को अनफॉलो कर सारे मैसेज रीसेंड कर दिए। 
ये निर्णय बेहद कठिन था लेकिन क्वीन इससे खुश थी... और उसकी खुशी छीनना ये किसी के हक़ में नहीं है। श्याम ने सोचा और इंस्टाग्राम बंद कर बैठ गया।

शाम को करीबन 7 बज रहे होंगे... श्याम छत पर वर्कआउट कर रहा था... अब पहली और आखिरी इश्क़ वर्कआउट ही तो है, खुशी में भी करो और गम में भी।
जब वर्कआउट खत्म हुआ तो देखा कि क्वीन की मैसेज आई है...
हेलो...
फिर से इन्सल्ट करनी है? श्याम ने क्वीन से पूछा।
अब मेरी इंसल्ट भी नहीं सह सकते... क्वीन ने कहा।
थोड़ी देर पहले इंसल्ट कर के अब रोमांटिक कौन होता है भाई... श्याम शॉक्ड था...
प्यार हो गया है मुझे तुमसे, तुम्हारी छोटी बातें भी अफ़ेक्ट करती है मुझे... श्याम ने रिप्लाई दिया
फिर बातों की शिलशिला बढ़ती ही चली गई...
काफी बात होने के बाद श्याम ने कहा...
I won't ever let you down Queen, doesn't matter you are with me or not... Love is the another name of sacrifice and i accept it!!
इसके बाद उसकी कोई जवाब न आई...रात भी हो चुकी थी इसलिए श्याम भी सो गया।

आप क्या क्या बोल देते हैं भैया...अगले सुबह शिवानी ने कहा।
मतलब,मैंने ऐसा क्या बोल दिया?
वो जो आप इंग्लिश मैसेज भेज थे वो उसको समाझ नहीं आया था... मेरे से ट्यूशन में पूछी तो हम उसको और बढ़ा चढ़ा कर बोल दिए।

अब श्याम खुश था कि शिवानी बढ़ा कर अच्छे से बोल दी थी सारी बातें, लेकिन टेंशन इस बात की हो रही थी कि जब चैट हो रही थी तो सारी रोमांटिक लाईनें तो मैंने इंग्लिश में ही बोले थे... और अगर उसे ये समझ नहीं आई होंगी तो सारी क्रिएटिविटी बेकार!!

भाग 4/4

मैं सच में बात करना नहीं चाहती तुमसे, दूर रहना चाहती हूँ जितना ज्यादा हो सके... क्वीन ने फोन पर श्याम से कहा।
तो नम्बर क्यों दिया तुमने मुझे ? श्याम ने पूछा
वो तो तुम माँग रहे थे इसलीये मैं दे दी...
माँग तो मैं तुझे भी रहा हूँ क्वीन... क्यों नहीं हो जाती तुम मेरी? श्याम ने एक धीमे से स्वर में क्वीन से कहा... ये स्वर मानो काँप से रहे हो, ये वाक्य जो बेहद छोटे थे लेकिन शब्दों को गहराइयाँ बेहद गहरी थी।
सब खुद के चाहने से कहाँ होती है श्याम... हुआ रहता तो सबसे पहले राधा - कन्हैया की होती... सीता कभी राम से अलग नहीं होती... क्वीन ने श्याम से कहा।

मैं भगवान नहीं हूँ क्वीन, मुझे इतनी बातें नहीं पता, बस इतना पता है कि इस जीवन में ही मुझे तुम चाहिए ,  बस तुम... तुम्हारे बगैर किसी और कि कल्पना करना बेहद मुश्किल है। अगर आज तुम मेरी नहीं हो पाई न तो मैं कभी किसी और का नहीं हो पाऊँगा... 

तुम बात करोगे की इमोशनल करोगे मुझे...क्वीन ने एक गहरी सांसें भरते हुए श्याम से कहा।

प्यार करता हूँ, प्यार करूँगा...ताउम्र करूँगा!!
ठीक है मुझे जाना है कहीं , मंगलवार को देशी कैफे चलना है भूलना मत... पिछली बार एक घण्टे लेट थे तुम बाई कह कर क्वीन ने फोन काट दिया...

अपने शब्दों पर तो क्वीन की बेहद पकड़ थी लेकिन जज्बातों को रोकना उसे कहाँ आता था... फोन रखने से पहले उसकी आवाज ने कुछ न कह कर भी काफी कुछ कह दिया... बिल्कुल इसके भाव उस उमड़ते सैलाब की तरह थे जिसने अपने अंदर न जाने कितने पत्थर, कितने दर्द समेट रखे थे लेकिन उन्हें कभी ये जताना नहीं है ... बस बहते चले जाना है तब तक, जब तक कि वक़्त इसे किसी अंजान जगह ले जा ना छोड़े।
क्यों वक़्त की गिरफ्त किसी को इस क़दर मजबूर कर देती है कि वो अपने चाहत को भी चाह नहीं सकती, आखिर क्यों।
श्याम के जहन में हज़ारों सवाल उमड़ रहे थे लेकिन जवाब किसी की भी न थी... करीबन तीन महीने से ये एक दूसरे से मिल रहे थे और काफी बातें भी हो रही थी लेकिन रिश्ता को समझ पाना किसी को लिए संभव न थी... शायद उन्हें भी नहीं पता था कि वो एक दूसरे के हैं कौन?

अरे कहाँ हो तुम...पिछले आधा घण्टा से मैं वेट कर रहा हूँ और तुम्हारी मेकअप ही खत्म नहीं हो रही... अभी तुरंत कैफे पहुँच कर श्याम ने क्वीन को फोन कर कहा।
मैं यहीं हूँ तुम्हारे पीछे... और तुम आधे घण्टे से नहीं बल्कि मैं पाँच मिनट से वेट कर रही हूँ...श्याम के पीछे खड़ी क्वीन बोली...
जब श्याम पीछे मुड़ा तो उसने बिल्कुल वही शहजादी को पाया जो वो कभी सपनों में सोच सकता था... ब्लू सूट पर गुलाबी दुपट्टा में वो वाकई में एक क्वीन दिख रही थी... 
वेट क्यों करना क्वीन मेरी हो जाओ न... मेरे साथ रहोगी न तो कोई दरमियां ही नहीं होंगी और फिर तुम्हें वेट भी नहीं करनी पड़ेगी...श्याम ने क्वीन से कहा।
वेट करना पसंद है मुझे तुम्हारा... तुम देर से ही आया करो मुझे कोई एतराज नहीं ।
भैया दो कॉफी लेकर आईएगा प्लीज...क्वीन ने वेटर से कहा।
और चार जलेबी भी... श्याम ने वेटर से कहा।
भूखे कहीं के... क्वीन ने श्याम से कहा।
नहीं... हम मकअप के बजाय जलेबी पे खर्च करना ज्यादा पसंद करते हैं... ये कहते ही दोनों की हंसी शुरू हो गई.... और हंसी के तुरन्त बाद एक गहरी खामोशी छा गई...मानो एक दूसरे को वो देखने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहे... ठंढ़ी जमीं को आने वाली तपती सूरज की एहसास कहाँ सुकूँ से रहने देती है....
सर कॉफी.... और ये रही आपकी जलेबी...वेटर ने आगे करते हुए कहा।
क्वीन बस सर झुका अपने मोबाइल को स्वाइप कर रही थी ताकि उसे सर उठा श्याम को देखने की जरूरत न पड़े.... श्याम क्वीन की स्थिति को बहुत अच्छे से समझ रहा था...उसने खुद को ठीक करते हुए कहा वो शहजादी...
कॉफी पी लो... ठंढ़ी हो रही है ये... वरना बोतल में भर कर घर ले जाना!!
तुम ही ले जाना... मैं एक्सट्रा मंगा दूँगी... कह कर क्वीन ने कॉफ़ी की एक चुस्की ली.... तुम शक्ल ही देखोगे मेरी की कॉफ़ी भी पियोगे...क्वीन ने थोड़े गुस्से वाले दिखावटी लहजे में कहा।
इस कॉफ़ी से ज्यादा मीठी तुम्हारी शक्ल है... आज देख लेते हैं क्या पता कल तुम मेरे साथ रहो या नहीं...
इतना कहना था कि क्वीन की आंखों से कुछ बूंदें छलक पड़ी....
ओह शीट... मेरी आँख में कुछ पड़ गई है...क्वीन ने कहा...
प्रेम जताना जितना मुश्किल है उतना ही मुश्किल छुपाना है क्वीन... पता नहीं ये कैसी मझधार है जो तुम्हें पार नहीं होने दे रही...ये कैसी वजह है जो तुम्हें मुझसे मिलने नहीं दे रही...लेकिन तुम - तुम ऐसे तो नहीं जा सकती क्वीन,तुम ऐसे हार नहीं मान सकती... श्याम ने सोचा और फिर एक गहरी साँस ले क्वीन से कहा...
आई लव यू क्वीन, एम सेरिअसली इन लव विद यू... मुझे नहीं पता मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूँगा... तुम बिन मैं अधूरा हो जाऊँगा क्वीन... प्लीज समझो इस बात को।
क्वीन के आंखों की धारा अचानक ही बह पड़ी... मानो की कितने दिनों के बाद आज सब्र की बांध टूट पड़ी... इस बार क्वीन ने कोई बहाना नहीं किया बल्कि चेयर से उठी और अपने पर्स से पैसे निकाल वेटर को दी...और श्याम से बोली...
तुम्हारे साथ बिताया हर लम्हां बेहद प्यारा होता है श्याम... तुमसे मुझे इतनी प्यार मिली है जो शायद मेरे हिस्से में भी न हो... बात मेरी पसंद की हो तो मैं हर  जन्म तुम्हें अपने हिस्से में ही चाहूँगी...
अब वक्त हो गई है श्याम मुझे जाना पड़ेगा... कह कर क्वीन सर झुका बस चली गई...
श्याम में इतनी भी हिम्मत न थी कि वो उठ क्वीन के आंसुओं तक को पोछ सके... बस वो बैठा रहा , तब तक जब तक कि वहाँ रंजीत नहीं पहुँच गया...।
अबे चलो क्या चुपचाप बैठा है यहाँ और क्वीन रो क्यों रही थी...
रंजीत के किसी सवालों का जवाब श्याम के पास नहीं था.. बस उसे गले लगा कर वो रो पड़ा... मानो की उसे एक सहारा चाहिए थी जो उसे सम्भाल सके...और जब इसे सहारा मिला तो ये खुद को संभाल न सका।
तू चल शाले मेरे घर चल, अपने घर नहीं जाओगे आज...आज श्याम में इतनी हिम्मत भी न थी कि वो वापस घर जा सके।
           रंजीत के घर पर से करीबन रात 8 बजे श्याम ने क्वीन को फोन लगाया, लेकिन उसका फोन बंद था... कई बार फोन करने के बाद भी उसका फोन नहीं लगा।
श्याम ने शिवानी को कॉल कर फोन लगाने को कहा लेकिन उसने भी स्विच ऑफ बताया।
श्याम देर रात करीबन डेढ़ बजे तक क्वीन को कॉल करता रहा जब तक कि उसकी आंखें न लग गई।

अगले सुबह करीबन आठ बजे रंजीत ने श्याम और उसकी गाड़ी को नहीं देखा तो वो परेशान हो गया... काफी कॉल लगाया श्याम को लेकिन वो उठाया नहीं...               फिर थका हुआ आधे घण्टे के बाद श्याम वापस लौटा...
अबे दिमाग खराब हो गया है तेरा? कहाँ गया था सुबह सुबह...श्याम से पूछा।
क्वीन का फोन नहीं लग रहा भाई...मैं कैफे गया था मुझे लगा था वो वहाँ होगी लेकिन वो नहीं थी।
अरे फोन खराब हो गया होगा इसलिए नहीं लग रहा इतना क्यों सोच रहे हो!! रंजीत ने कहा।

               लेकिन इनके मुकद्दर में कुछ और ही था ... एक फोन कॉल की इन्तिज़ार करते करते श्याम के साढ़े तीन वर्ष गुजर चुके थे... श्याम ने हर एक तरीका अपनाया जिससे वो क्वीन के पास पहुँच सके लेकिन ये नहीं हो पाया... नियति को शायद पसंद न थी मोहब्बत का मिलना... नियति को शायद पसन्द न थी श्याम को उसकी शहजादी से मिलवाना।

आखिर परिवार के कई महीनों के जिद के बाद श्याम ने अपने शादी के प्रोपोजल को एक्सेप्ट कर लिया... आखिर कब तक मना करता... शादी के साथ ही श्याम अपनी हर एक यादों को मिटा बस अपनी उस वाइफ का हो जाना चाहता था जो इसकी होने के लिए तैयार थी...वो नहीं चाहता था कि की इसका पास्ट का प्रभाव इसकी वाइफ पर किसी तरह से पड़े...

आपने कभी प्यार किया है किसी से... नियति जो कि श्याम की होने वाली वाइफ थी ने पूछा...
अरे प्यार का क्या है होते रहता है...लेकिन तुम्हारे बाद किसी से नहीं हो सकती... श्याम ने मजाकिया लहजे में नियति से कहा।
मेरे आने के बाद आप सिर्फ मेरे रहो इससे ज्यादा मुझे कुछ चाहिए भी नहीं।
आई लव यू, एंड आई ऑलवेज विल... कहकर श्याम ने नियति को गले से लगा लिया।

शादी को करीबन ढाई महीने हुए होंगे... श्याम रंजीत के घर के पास से नियति के साथ गुजर रहा था, श्याम ने कहा चलो आज रंजीत को सर्पराइज देते हैं उसके घर जाकर... नियति भी एक्साटेड होकर तैयार हो गई... वो कुछ मिठाई वगैरह लेने के लिए एक जगह रुकें और वो जगह अनफॉरचुनेटली "देशी कैफे" थी , वही देशी कैफे जहाँ से श्याम की हज़ारों यादें जुड़ी थी, किसी से बिछड़ने की यादें, किसी को खोने की यादें...।

यहाँ नहीं, कहीं और चलते हैं ना... ये मुझे ठीक नहीं लग रहा... श्याम ने कोशिश किया कि वो देशी कैफे ना जाये लेकिन नियति की जिद ने उसे मजबूर कर दिया वापस उस कैफे में जाने को जहाँ वो अपनी कई यादें दफ्न कर चुका था ... जहाँ वो अपनी ज़िंदगी दफन कर चुका था... जहाँ वो जीना छोड़ चुका था।

कैफे के अंदर श्याम और नियति जाकर बैठ चाय पी रहे थे तभी अचानक श्याम की नजर शिवानी पर पड़ी... 
शिवानी... ओय शिवानी... श्याम ने आवाज दिया।
शिवानी अचानक श्याम  को देखकर काफी खुश हो गई और अचानक अगले की क्षण परेशान हो गई... क्या हुआ परेशान क्यों हो रही हो? 
कुछ नहीं भैया...आप अचानक यहाँ, आने से पहले बताना चाहिए था ना...!! शिवानी ने कहा।
अरे अचानक से आ गया...कोई खास प्लानिंग नहीं थी...श्याम बात कर रहा ही रहा था कि अचानक एक दो-ढाई वर्ष का बच्चा दौड़ता हुआ शिवानी की ओर मौसी-मौसी चिल्लाता हुआ आ रहा था...
श्याम पूछने ही वाला था कि ये बच्चा कौन है तभी उसकी नजर बच्चे के पीछे एक लड़की पर पड़ी... और उसे देख कर श्याम की वर्षों पुरानी यादें एक साथ मंडराने लगी... वर्षों पुरानी यादें जहन को झकझोरने लगी, मानो पुराने जख्म अचानक ताजे हो गए हों ... उस बच्चे की पीछे आ रही लड़की कोई और नहीं बल्कि क्वीन थी... वो क्वीन जो शायद कभी श्याम की शहजादी थी... श्याम को समझते देर नहीं लगी कि ये बच्चा कोई और नहीं बल्कि क्वीन का बेटा है... इसे देख श्याम भावुक हो गया... और हो भी क्यों न, किसी को खोने का गम भुलाया तो जा सकता है लेकिन मिटाया नहीं जा सकता।
     क्वीन श्याम के सामने आ खड़ी थी, श्याम की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वो क्वीन को देखे भी...जहन में हज़ारों सवाल थे क्वीन से पूछने को , कई शिकायतें थी उसे कहने को लेकिन अब क्यों... शिकायतें तो अपनों से की जाती है न और अब हम अपने कहाँ रहें।

श्याम घुटनों पर बैठ कर उस बच्चे को बुलाया...

वो बच्चा अपनी माँ, क्वीन की ओर देखा मानो पूछ रहा हो...
क्वीन ने उस बच्चे को हाँ में जाने का इशारा कि।
जब बच्चा श्याम के पास पहुँचा तो श्याम भावुक हो उसे गले लगाने से खुद को रोक नहीं पाया... अगर आज एक मर्द होने की एहसास न होती तो शायद ये रो देता... लेकिन अब श्याम वो आज़ाद श्याम कहाँ था , अब ये रिश्तों के बेड़ियों में जकड़ा किसी का अपना श्याम हो चुका था।

कुछ वक़्त तक बच्चे को गले लगाने के बाद श्याम ने बड़े ही प्यार से उससे पूछा... बेटे आपका नाम क्या है?

बच्चे ने बड़ी ही मासूमियत से जवाब दिया....  "श्याम "




Note- Similarity of this story between any living or dead will just be a coincidence.
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I am broken!! दास्तां एक इश्क़ की - Hindi love story I am broken!!  दास्तां एक इश्क़  की  - Hindi love story Reviewed by Story teller on मार्च 09, 2021 Rating: 5
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