Mansarovar 2- Anu and Erie , Hindi Short story with moral.
अनु, जैसा हम लड़कियों के बारे में कल्पना करते हैं अनु उससे बेहद अलग थी। उसकी धारदार चाकू हर वक़्त उसके एड़ियों केे पास बंधे होते थे और ऐसा नहीं की अनु को बचपन से ही चाकू जैसे घातक हथियार पसन्द थे लेकिन वो हथियार अपने साथ रखना अनु की मजबूरी थी। क्यों की उसकी गाँव "जाइरो" ,मानसरोवर के बिल्कुल आखिरी छोर में थी और वहाँ जंगली जानवरों का काफी आतंक होता था। कई बार ऐसी दुर्घटना भी होती थी की जंगली जानवर गाँव के आसपास से छोटे बच्चों को उठाकर ले जाते थे या फिर घायल कर देते थे।
इन्हीं कारणों से जाइरो गाँव में हर एक बच्चों को बचपन से ही हथियारों का प्रयोग सिखाया जाता था और जो भी इसका कभी दुरुपयोग करता उसे कठोर दंड भी दिया जाता था। बड़े होने के साथ साथ अब चाकू, ख़ंजर, भाले वगैरह से अनु को बेहद प्रेम होने लग गया था ।
जब भी कहीं गाँव में खबर होती की जंगली जानवर आ गए हैं अनु तुरंत मशाल जलाकर जानवरों को भगाने नीकल पड़ती।
एक बार दीपावली की समय थी, अनु और उसके घरवाले घर में कुछ मिठाईयां बना रहे थे और अनु का भाई घर के बाहर कुछ बच्चों के साथ खेल रहा था।
अचानक से बाहर भगदड़ मच गई , बच्चे रोने चीखने लगे। बाहर से कुछ लोगों के रोने की आवाजें आने लगी, कुछ मारो-मारो, भगाओ-भगाओ चीखने लगे। अनु और उसके घरवाले बाहर निकले तो देखा की अनु के छोटे भाई को सुअर ने अपने पंजों से दबा रखा है और उसको जंगल की ओर ले जाने की तैयारी के रहा है, लेकिन अगल बगल लोगों की भीड़ देखकर वो परेशान और काफी गुस्से में दिख रहा है।
अब अनु को समझ नहीं आ रहा था की क्या करे,कोई भी इंसान डर के मारे सुअर के पास जाने की हिम्मत नहीं कर रहा था, चुकी अनु भी जानवरों से बेहद प्रेम करती थी इसलिए जंगली सुअर को वो मारना भी नहीं चाहती थी। लेकिन अब उसे अपने भाई की काफी फिक्र हो रही थी की क्या करे और क्या नहीं क्यों की सुअर मशाल की आग को भी देखकर नहीं भाग रहा था।
अब सुअर ने अनु के भाई आर्य के पैरों को अपने जबड़े से पकड़ा और उसे खींच कर जंगल की ओर ले जाने लगा, उसका भाई काफी जोर जोर से रोने लगा चुकी उसे काफी पीड़ा भी हो रही थी और डर भी लग रहा था।
इस परिस्थिति में अनु को अपने भाई का दर्द सहा नहीं गया और उसने अपने पास से ख़ंजर को निकाली और बिजली सी तेज गति से उसने निशाना साध कर सीधे सुअर के आंखों में दे मारा, ख़ंजर लगते ही सुअर दर्द से बिलबिला उठा और आर्य को वहीं छोड़ कर जंगल की ओर भाग गया। सबों ने राहत की सांस ले और अनु की खूब तारीफ हुई।
दीपावली खत्म हो गई बड़े धूम धाम से सबों ने इस त्योहार को मनाया। अनु के पड़ोसी अपने कुछ मिठाइयों को घर के बाहर चारपाई पर सूखने के लिए रख दिए थे। कुछ समय के बाद वहाँ एक बंदरिया उन मिठाइयों को लेने के लिए आ गई उसे लगा कि वो जल्द हि मिठाई उठाएगी और लेकर भाग जाएगी।
अनु के पड़ोसी पहले ही उस सुअर से काफी डरे हुए थे इसलिए उन्होंने डंडा उठाया और बन्दरिया को दे मारा, दुर्भाग्यवश वो डंडा बंदरिया के सिर पर लगा और वो वहीं निढ़ाल गिर पड़ी ।
जब अनु वहाँ पहुँची तो देखी की वो बंदरिया वहीं पड़ी हुई है और उसका एक छोटा सा बच्चा अपने माँ के पास आकर बैठ गया, मानो की वो अपने माँ की गोद में बैठना चाहता हो। ये दृश्य देखकर अनु रो पड़ी वो इलाज के बारे में सोच पाती इससे पहले वो बंदरिया मर चुकी थी।
अनु ने निर्णय किया की इस छोटे से बंदर के बच्चे को अब वो अपने पास रखेगी और देखभाल करेगी। जब उस बन्दर के बच्चे को अनु अपने घर लेकर गई तो उसे पता नहीं चला की ये बंदर है या बंदरिया।
अनु ने अपने माँ से पूछा की माँ ये बंदर है या बंदरिया? अनु की माँ ने बताया की ये बंदरिया है, जब आर्य यानी अनु के भाई ने छोटे से बंदर के बच्चे को देखा तो उसने फटाक से कहा की इसका नाम मैं अपने नाम जैसा कुछ रखूँगा लेकिन एरी भी इसका नाम अपने नाम जैसा रखना चाहती थी। अनु और आर्य दोनों अपनी माँ के पास गए और समस्या बताई तो माँ ने कहा तुम दोनों इस बंदरिया का नाम "एरी" रख दो ये नाम तुम दोनों से मिलता झूलता भी है।
एरी काफी खुश हुई क्यों ये नाम उसे काफी पसंद आया और जब पिता जी घर आकर एरी को देखे तो वो भी नाराज होने के बजाय एरी को घर में रहने देने के लिए राजी हो गए। अब एरी भी नए घर में आकर काफी खुश थी।
Moral of the story-
1- जानवर भी हमारे जैसे दर्द और खुशी का अनुभव करते हैं उनसे सम्मानजनक व्यवहार करें।
2- जब आवश्यकता पड़े तो आपको बहादुरी भरा कदम उठाना पड़ सकता है वरना बाद में सिर्फ पछतावा बचेगी।
ये थी आपकी Mansarovar 2- Anu and Erie, Hindi short story with moral for kids की पूरी कहानी।
इसके आगे की कहानी मानसरोवर 3 आपको जल्द ही पढ़ने को मिलेगी।
पढ़िए -
Mansarovar 1, कर भला तो हो भला।
Mansarovar 3, अनु और पिंटू की मुलाकात