मानसरोवर 1 - कर भला तो हो भला।
मानसरोवर, सरयू नदी के तट पर बसा ये राज्य किसी स्वर्ग से कम नहीं था, इसके चारों ओर पेड़ पौधे भरे हुए थे, हर ओर मोर के साथ अन्य चिड़ियों की ऐसी मधुर आवाज आती की मानसरोवर में रहने वाले सारे लोग भावविभोर हो जाया करते थे।
इसी राज्य के अम्बिकापुर में एक लड़का रहता था जिसका नाम था पिंटू, ये अपने दादी के साथ रहता था। चुकी दादी की उम्र काफी हो चुकी थी इसलिए पिंटू पढ़ाई के साथ-साथ अपने दादी की पूरी मदद करता था।
गाँव में पिंटू का कोई दोस्त नहीं था वो अकेला रहना पसंद करता था , हाँ जब किसी को उसकी जरूरत महसूस होती तो वो मदद के लिए सदैव तैयार रहता था। और इसी के कारण पिंटू को जानने वाले उसे बहुत प्यार करते थे।
एक दिन पिंटू की दादी ने कहा कि " घर से कुछ दूरी पर एक पड़ोसी की शादी है और हमें न्योता आया है, इसलिए आज हमलोग शादी में चलेंगे"
पिंटू को शादी में जाने का बिल्कुल भी मन नहीं था और इसलिए उसने दादी से कहा कि "आप चली जाइए मैं नहीं जाऊंगा"
दादी ने पिंटू की बात मानते हुए कही की "ठीक है मैं जा रही हूँ,मैं शाम तक लौट आऊंगी, तुम घर से कहीं दूर मत जाना"पिंटू ने हामी भरी और दादी चली गई।
पिंटू ने कुछ समय के बाद सोचा कि क्यों न आज मानसरोवर के उत्तर में बसे कान्हनवन घूम लिया जाए, सुना है कि वहाँ कई खूबसूरत पशु पक्षी रहते हैं और मैं शाम होने से पहले लौट भी आऊंगा तो दादी को भी पता नहीं चलेगा।
पिंटू दादी के जाने के बाद, साथ में कुछ फुले हुए चने को रख लिया और कान्हनवन को निकल गया।
करीबन दो घण्टे चलने के बाद पिंटू कान्हनवन के समीप पहुंचा,उसने देखा कि वन के अंदर से कई पक्षियों की आवाज आ रही है, और साथ ही उसे महसूस हो रहा था कि कोई मुरली कि स्वर उसे सुनाई दे रही है।
उसे अंदर जाने को मन तो पूरी हो रही थी लेकिन अंदर जाने में डर भी लग रहा था। अंत में उसने निर्णय लिया कि इतना दूर आया है तो वो अंदर तो जरूर जाएगा।
लेकिन पिंटू के पास अपनी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं था,लेकिन पिंटू को तीर चलाना बहुत अच्छे से आता था, उसके दादाजी जिंदा थे तो उन्होंने पिंटू को ये कला सिखाई थी। इसलिये पिंटू ने सामने बांस के पौधे को तोड़ कर अपने लिए एक धनुष और 10-15 तीर बनाया ताकि जरूरत में इसका इस्तेमाल कर सके।
जैसे जैसे पिंटू कान्हनवन के अंदर घुसता गया वैसे-वैसे वन की मनमोहक दृश्य उसे दिखने लगी, और बीच बीच में उसे ऐसा प्रतीत होता कि कोई बांसुरी बजा रहा है, कुछ कदम और चलने पर उसे कुछ खरगोश दिखे जो पिंटू को देखकर आपस में बातें कर रहे थे, पिंटू को ये सब देखकर काफी आश्चर्य हुआ, लेकिन वहाँ की खुशबू और प्राकृतिक दृश्य ने पिंटू को मोहित कर लिया था।
आगे चलकर पिंटू ने एक सुंदर से तालाब देखा, तालाब के चारों ओर केला के पौधा और अंगूर की लताओं में ढेर सारे फल लगे थे, थोड़ी देर के लिए पिंटू को मन हुआ कि वो केला को तोड़कर खाले लेकिन फिर उसे याद आया कि गुरुकुल में गुरुजी ने कहा था कि कभी भी अजनबी जगह से कोई भी चीज न खाएं वो जहरीला हो सकता है या फिर हो सकता है कि उसमें कुछ मिला दिया गया हो।
पिंटू तालाब की मेढ़ पर बैठकर घर से लाया हुआ चना खाने को सोचा, लेकिन तभी उसने सामने से कुछ हिनहिनाने की आवाज सुनी ऐसा लग रहा था कि कोई जानवर छटपटा रहा हो, पिंटू ने जाकर देखने की सोची।
जैसे ही पिंटू नजदीक गया वहाँ का हाल देखकर उसका हालत खराब हो गया, क्यों कि वहाँ एक बड़ा सा अजगर साँप एक छोटे से घोड़े के बच्चे को जकड़ा हुआ था, अब पिंटू को ये समझ नहीं आ रहा था कि इस घोड़े के बच्चे को कैसे छुड़ाया जाए और अगर देर हुई तो ये घोड़ा का बच्चा मर जायेगा।
पिंटू ने अपने धनुष को निकाल कर एक तीर खींचकर अजगर को मारा लेकिन अजगर को रत्ती सा फर्क नहीं पड़ा , पिंटू ने फिर से 3-4 और बाण अजगर पर चला दिए लेकिन तब भी अजगर के मोटे से चमड़े में पिंटू का तीर कुछ कर नहीं पाया।
पिंटू कुछ समझ नहीं पा रहा था कि अब क्या करे।
उसी वक़्त दो अन्य घोड़े वहाँ पहुंच गए, एक था चार्ली और दूसरा चार्ली की माँ। पिंटू को यह समझते देर नहीं लगी कि जिस घोड़े के बच्चे को अजगर ने पकड़ा हुआ है वो चार्ली का छोटा भाई है। पिंटू को वहां अपने भाई की मदद करते हुए देख चार्ली और इसकी माँ बहुत खुश हुए, लेकिन टेंशन ये थी कि छोटे घोड़े को अजगर से जल्दी छुडाएं कैसे, क्यों कि अब अजगर बच्चे को निगलना शुरू कर दिया था, चार्ली और उसकी माँ भी कोशिस कर रहे थे लेकिन अजगर छोटे घोड़े को लपेटा हुआ था इसलिए चार्ली अजगर को कुचल भी नहीं सकता था।
अब चार्ली और उसकी माँ अब आंसुओं से भरी नजरों से पिंटू की ओर देखने लगे मानो की वो पिंटू से आग्रह कर रहे हों कि वो उनके छोटे से बच्चे को अजगर से बचा ले।
अब पिंटू के पास ज्यादा वक्त नहीं था सोचने के लिए, इस आखिरी वक्त में उसे आखिरी उपाय सूझी पिंटू ने अपने धनुष पर एक धारदार बाण चढ़ाया और जोर से खींच कर निशाना लगाया... पिंटू ने सटाक कर के बाण छोड़ी और वो बाण सीधे अजगर के आँख में जाकर घुस गई, अब अजगर की हालत खराब हो गई कि क्या करे और क्या न करे अजगर ना घोड़े के बच्चे को अपने मुंह में लेकर वहाँ से भागने लगा लेकिन तभी पिंटू की दूसरी तीर आकर अजगर की उसी आँख में आकर घुस गई। अब अजगर घोड़े के बच्चे को छोड़कर भागना सही समझ और भाग गया।
चार्ली और उसकी माँ छोटे घोड़े के बच जाने से काफी खुश थे और पिंटू भी अपनी बहादुरी से बेहद खुश था। चार्ली पिंटू को अपने पिता के पास ले गया , उसके पिता सारा कहानी जानकर पिंटू का काफी आभार व्यक्त करने लगे।
चार्ली के पिता ने पिंटू से कहा कि "चार्ली हमेशा से एक सही इंसानी मित्र के तलाश में था जिसके साथ वो इस जंगल से बाहर रह सके, और आज तक मैं सही इंसान की तलाश में था। आज मुझे विश्वास है कि तुमसे अधिक बहादुर और सज्जन मित्र मेरे बेटे चार्ली को नहीं मिल सकता, क्या तुम मेरे बेटे चार्ली को अपने साथ रखना चाहोगे?
पिंटू को यकीन नहीं हो रहा था कि ये सब सच है , पिंटू ने नम आंखों से हाँ में सिर हिलाया। चार्ली भी पिंटू जैसे मित्र को पाकर काफि खुश था।
पिंटू और चार्ली कान्हनवन में बाकियों से विदा लेकर अपने घर अम्बिकापुर चले गए।
Moral of the story - आप अगर कुछ बेहतर करते हैं तो आपके साथ भी बेहतर ही होगा। बुरे से बुरे परिस्थिति में भी हौसला बनाये रखें कोई न कोई हल जरूर निकलेगा।
पढ़िये-
- Mansarovar 2 , अनु और एरी की बहादुरी भरी कहानी।
- Mansarovar 3, अनु और पिंटू की मुलाक़ात।