सिविल सर्विस ग्रुप B,C एवं D की परीक्षाओं में सरकार कर रही बदलाव की तैयारी-
अभी काफी समय से सरकार सरकारी परीक्षाओं के नियम सम्बंधित काफी परिवर्तन ला रही है ,जैसे की कुछ वक़्त पहले ग्रुप B,C और D से इंटरव्यू को पूरी तरह से खत्म कर दी इससे वैसे बच्चे भी इन परीक्षाओं में सरलता से चयनित हो सकेंगे जिनको इंटरव्यू फेस करने में दिक्कत आती है। और अब ग्रुप B,C और D के लिए एक अलग "नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी" को लाने के प्लानिंग चल रही है जो इन परीक्षाओं को आयोजित करेगी, निम्न प्रमुख परीक्षाएं इनमें आती है-
RRB group D
RRB NTPC
SSC CGL
SSC CHSL
SSC MTS
SSC JHT
IBPS Banking
सिविल सर्विस परीक्षा में बदलाव की तैयारी-
सबसे बड़ी जिस परिवर्तन की बात हो रही है वो है सिविल सर्विस ,जी हाँ वही सिविल सर्विस जिसके नाम से युवाओं की धड़कनें तेज हो जाती है , जिसके लिए युवा दिल्ली की 7:8 के कमरे में भी रहने को तैयार हो जाते हैं,आखिर ये एक ऐसा सपना है जो कई कठिनाइयों से टकराने की हिम्मत भी देती है।
सिविल सर्विस को लेकर निम्न बदलाव को अपनाने की कोशीश की जा रही है-
1.कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग जिसके अंतर्गत सिविल सर्विस आती है को दो भागों में बांट क्रमिक एवं प्रशिक्षण को अलग अलग किया जाए।
2. कुल सिविल सर्विस 60 है इनमें से सबों को कंबाइन कर 3-4 में तब्दील कर देना।
3. सिविल सर्वेंट को किसी एक क्षेत्र में स्पेसीलाईजेशन लेने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि वो किसी एक विभाग को अच्छे से सम्भाल सके
4.किस मंत्रालय या विभाग में कितने पद की जरूरत इसका आंकलन किया जाए ताकि सटीक आवश्यकता अनुसार भर्ती की जाए।
5. सिविल सर्वेंट के स्किल का उपयोग करना है, अब इसके कई अर्थ है, मतलब हो सकता है की अभी जिस प्रकार साधारण स्नातक भी सिविल सर्विस के हर पद पर जा सकते हैं भविष्य में न जा पाए।
6. तमाम राज्य एवं केंद्र की एक ही परीक्षा करवाई जाए,यानी राज्य अपनी सिविल सर्विस परीक्षा नहीं लेंगे।
नीति आयोग के New India @75 2018 में इन रिपोर्टों को प्रकाशित की गई थी, जिसपर सरकार ने अमल करना शुरू कर दिया है,उम्मीद है भविष्य में सकारात्मक बदलाव हो।
यूपीएससी सिविल सर्विस और हिंदी की विवाद-
ये काफी विवादित मुद्दा रही है इस प्रतिष्ठित परीक्षा की क्यों की पिछले वर्षों की रिजल्ट और हिंदी माध्यम के विद्यार्थी का कहना है की CSAT के कारण हिंदी माध्यम के विद्यार्थी असफल हो जाते हैं क्यों उसमें अंग्रेजी होती है, और वाकई में रिजल्ट की ओर देखें तो जिस UPSC पर आधा कब्जा हिंदी की होती थी आज उसमें महज 1000 में से 3-4 विद्यार्थी ही सफल हो पाते हैं।
सोचने वाली बात ये है की आप सबों से अपेक्षा करते हैं की वो हिंदी की सम्मान करे , विदेशों में जाकर अगर कोई हिंदी बोले तो वो गर्व है लेकिन अपने ही देश में हमारी सिस्टम हिंदी को अंग्रेजी तले कुचल दे रही है और उसमें हमें कोई शर्म महसूस नहीं हो रही, क्या ये किसी भी तरह से सही है की हमारी हिंदी , अंग्रेजी की पिछुआ बन कर घूमे? आगर वाकई में देश को अंग्रेजी की जरूरत है तो फिर सरकारी विद्यालय में बच्चों को हिंदी माध्यम में क्यों पढाई जाती है और अगर पढाई हिंदी में जा रही है तो आप उनसे अंग्रेजी के सवाल क्यों दाग रहे? इसका एक ही मतलब होता है की सरकारी सिस्टम में सरकार को, हमारी एडमिनीशट्रेशन को कान्वेंट स्कूल के बच्चे चाहिए न की सरकारी स्कूल के।
खैर इस मुद्दे को लेकर अब तक सरकार या यूपीएससी ने कोई पहल नहीं की है, अब क्या कारण है ये सरकार जाने और सिविल सर्विस एवं ग्रुप B,C,D की परीक्षा में सरकार की इन तैयारियां कब तक और किस अंदाज में पहुंचती है ये देखने वाली बात है।