(Audio link of the story has been given below😉)
करीबन रात के 11 बज चुके थे एक तो पार्टी को देर हो रही थी और इधर बारिश भी शुरू हो गयी और भगवान को इतना काफी नहीं लगा रास्ते भी जंगल वाले ही आ गए थे वैसे मुझे डर नहीं लगता लेकिन फिलहाल तो लग रहा था क्यों कि ये रास्ता भूतों के लिए प्रसिद्ध था पिछले दिनों ही किसी की मौत हुई थी... और मैं ए तो बिल्कुल ही नहीं चाहता था कि इसी रास्ते में मैं भी कल भूत बनकर घूमूं... मैंने अभी रास्ते में बस ड्राइव शुरू ही किया था कि अचानक से मेरी गाड़ी की स्वीपर रूक गयी ये मुझे नार्मल ही लगा जब तक कि एक हथेली जोर से मेरे दाहिनी ओर वाले कांच में ना आ टकराई मैं सन्न रह गया क्यों की इतनी रात को ए संभव नहीं था मुझे समझ आ चुकी थी कि मैं बहुत बड़े जाल में फंस चुका हूँ मैंने गाड़ी के स्पीड को किसी तरह बढ़ाये रखा मुझे पता था कि अगर आज मैं गाड़ी से उतरा तो शायद मेरे पैर जमीन पर पड़ने से पहले मेरी जान आसमान पहुंच जाएगी ए भी कोई निश्चित नहीं था कि गाड़ी में मैं कब तक जिंदा रह पाता कुछ ही देर में मेरी आगे की कांच टूट गई ऐसा लगा मानो कई लोगों ने मिलकर उसे तोड़ दिया हो और पानी की छीटें अंदर आने लगी अब शायद मुझे यकीं हो गया था कि बस ज़िंदगी की सफर यहीं तक है मरने का अफसोस नहीं था मुझे पर कई अपनों को छोड़ जाने का डर था जो मुझ पर निर्भर थे।
अचानक से एक नोखदार भाले समान लकड़ी मेरी ओर आती दिखी और मैंने डर से अपनी आँखे भींच ली तभी एक हाथ आई मेरी नज़रों के सामने जिसने अचानक से मेरी स्टीरिंग घुमा गाड़ी दूसरी ओर मोड़ दी, मैं पहले तो एग्दम डर सा गया तभी अपने बगल वाले सीट पर देखा तो ए मेरी अनु थी एक मात्र लडक़ी जो मेरे लिए सबसे अलग सबसे हंसी और सबसे बेबाक थी, मेरे लिए वो किसी बादल समान थी जिसके होने पर मैं मयूर समान बस मगन हो उठता था...मैं उसे थैंक यू बोलना हि चाह रहा था कि अचानक से उसने बोलना शुरू कर दिया "दिमाग खराब है तुम्हारा"??? "समझ नहीं आती तुम्हे की इतनी रात को इस रास्ते से नहीं जाए पहले निकलने में तो आलश लगती है तुम्हें तुम हमेशा ऐसे ही करते हो बेवकूफ हो एग्दम मैं साथ नहीं होती तो क्या होता अभी???" उसकी डाँट भरी आवाज मेरे लिए एक मधुर संगीत समान थी...मैंने उसे बस कान पकड़ कर सॉरी कहा और उसका सारा गुस्सा गायब...तुम्हें अच्छे से पता है कि तुम ऐसे कहोगे तो मैं शांत हो जाउंगी लेकिन तुम ये सब क्यों करते हो??? उसने मुझ से कहा!! वैसे जब अनु साथ होती है तो कोई प्रॉब्लम रहता नहीं मेरे साथ बहरहाल अब डरावने रास्ते मेरे लिए एक रोमैंटकी लॉन्ग ड्राइव बन गई थी...मैंने उसके सारे बात काटते हुए पूछा कि "अनु क्या हम शादी नहीं कर शकते?" उसने मयूषी भारी आवाज में कहा "वरुण पता है ना तुम्हे नहीं पॉसिबल है ये...तुम शादी क्यों नहीं कर लेते किसी अच्छी सी लड़की से तुम्हें तो कोई भी मिल जाएगी , मेरे चॉइस हो तुम और मेरी चॉइस को कोई रिजेक्ट नहीं कर सकती।"... याद है मैंने परपोज़ करने के साथ वादा भी किया तुमसे की तुम नहीं तो कोई नहीं , अनु नहीं रह सकता यार मैं तुम्हारे बिना आदत नहीं है मुझे" मैंने अनु से कहा ... समझो वरुण वक़्त के साथ आदत भी बदल जाएंगे...तुम कब तक ऐसे ही रहोगे ??? उसने मुझे समझाने की कोसिस की उसके लफ्ज़ और आँसू साथ साथ निकल रहे थे...अनु तुम मेरी नहीं हो पाई और अगर मैंने किसी से शादी की तो मैं उसका नहीं हो पाउँगा और इतना मतलबी तो नहीं बन सकता ना मैं!!इस जन्म ना सही अगले जन्म में मुझे तुम्हारा इन्तिज़ार रहेगा। ... इतना कहते कहते मैं रेस्टरों पहुँच चुका था ,मैंने कहा अनु अंदर नहीं चलोगी मेरे साथ। उसने रुहांसे आवाज में कहा वरुण एक आत्मा की हमसफर सुनसान राह होती है तुम्हारे जैसे खूबसूरत मंज़िल नहीं, मैं तुम्हारी थी!! इस धरती पर भी और तुम्हारी ही रहूंगी उस आसमान में भी ....
मैं इतना बेबस था की उसकी आंखों के आँसू भी ना पोछ पाया ना एक बार गले लगा कर बोल पाया कि...
अनु बेइन्तिहां प्यार है मुझे तुमसे...
तुम मेरे लिए आज भी वही तपती दोपहरी की नीम वाली छाँव हो...
तुम आज भी मेरे लिए रेगिस्तान में वही मिट्टी के घरों वाली एक गांव हो।
कहीं भी रहूँ मैं हर जगह बस तुम हो बस तुम!!
मैं वो कृष्ण नहीं जो रूप बदल कर राधा से मिल जाऊं
ना वो राम हूँ जो स्वर्ग पहुंच वापस सीता से मिल जाऊं...
इंसान हूँ मैं बस इन्तिज़ार है की कब इस मिट्टी में मिल
उस फ़िज़ा में घुल जाऊं...बस तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा हो जाऊं!!
मैं कुछ भी कह पाता ईससे पहले वो इस फ़िज़ा की सनसनाती हवा में खामोश हो
गयी...परी थी वो मेरी वापस परियों वाली दुनिया में चली गई।
अनु बेइन्तिहां प्यार है मुझे तुमसे...
तुम मेरे लिए आज भी वही तपती दोपहरी की नीम वाली छाँव हो...
तुम आज भी मेरे लिए रेगिस्तान में वही मिट्टी के घरों वाली एक गांव हो।
कहीं भी रहूँ मैं हर जगह बस तुम हो बस तुम!!
मैं वो कृष्ण नहीं जो रूप बदल कर राधा से मिल जाऊं
ना वो राम हूँ जो स्वर्ग पहुंच वापस सीता से मिल जाऊं...
इंसान हूँ मैं बस इन्तिज़ार है की कब इस मिट्टी में मिल
उस फ़िज़ा में घुल जाऊं...बस तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा हो जाऊं!!
मैं कुछ भी कह पाता ईससे पहले वो इस फ़िज़ा की सनसनाती हवा में खामोश हो
गयी...परी थी वो मेरी वापस परियों वाली दुनिया में चली गई।
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Audio link of the story-
//drive.google.com/file/d/1dBywgkDSRIbPWs8USkZOZoQ_2I7FlGYB/view?usp=drivesdk
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मोहब्बत...आज कल और हमेशा!! / love today tomorrow & always.
Reviewed by Hindiyans
on
नवंबर 01, 2018
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