Shree krishna Janmastmi - हमारे भारतवर्ष में कई पवित्र-पावन त्योहार है लेकिन कुछ त्योहार दिल के बहुत करीब होते हैं और उन त्योहारों में से एक हैं श्री कृष्णा जन्माष्टमी।
अब खास क्यों है ये वजह तो जग जाहिर है कन्हैया महज भगवान नहीं है सबके लिए, वो एक भाई के स्वरूप है , वो एक प्रेमी के रूप हैं , एक आदर्श पति हैं, अचंभित उदाहरण प्रस्तुत कर देने वाले एक सच्चे मित्र हैं और ऐसे ही कई उदाहरण उनसे निकलती है जो आज भी सबों के लिए आदर्श है,सबों को एक अहम राह दिखाती है।
क्यों मनाई जाती है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी ?
ज्योतिषशास्त्र एवं पुरातत्व इतिहासकारों के अनुसार श्री कृष्णा की जन्म भादप्रद में कृष्णपक्ष की अष्टमी तारीख को हुई थी और इसी हर्षोल्लास में हम ये त्योहार को निरन्तर पीढ़ी दर पीढ़ी मनाते चले आ रहे हैं।
कब मनाई जाती है जन्माष्टमी ?
भादप्रद(अगस्त) में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तारीख को ये पवित्र त्योहार मनाई जाती है, 2020 में ये त्योहार 11-12 और कुछ जगह 10 - 11 को मनाई जा रही है, चुकी हिंदू धर्म में त्योहार स्मार्त और वैष्णव दो भिन्न भिन्न तारीखों में मनाया जाता है इसलिए इस बार 11 को स्मार्त और 12 को वैष्णव समय से ये त्योहार मनाया जाएगा।
हालांकि ग्रह - नक्षत्र के अनुसार प्रत्येक वर्ष इस त्योहार की तारीख बदलती रहती है, इसलिए प्रत्येक वर्ष तारीख के लिए आपको कैलेंडर की सहायता लेनी पड़ेगी।
खैर, कृष्ण के प्रति प्रेम, श्रद्धा किसी तारीख की मोहताज कहाँ है, आप अपने आप को कभी भी उन्हें समर्पित करिये और एक असीम खुशी की ओर अग्रसर हो जाइए।
जन्माष्टमी मनाने की सम्पूर्ण विधि-
- किसी ऊंचे स्थान जैसे टूल या छोटी चौकी पर लाल वस्त्र(चुकी हिंदुओं में लाल वस्त्र को पवित्र माना जाता है) ढक दें उसपर थोड़ी सी जल छिड़क कर श्री कृष्ण की मूर्ति रख दें।
- दिशा चयन को थोड़ा ध्यान रखें , आप चाहें तो पूर्व अथवा उत्तर की ओर चेहरा कर के बैठ सकते हैं।
- दीप के साथ धूप जला दें, आप चाहें तो धूप में घी का प्रयोग कर सकते हैं।
- प्रसाद चढ़ा लें।
- श्री कृष्णा की मन्त्र जाप करें- जैसे
ॐ श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरए पमात्मने, प्रमतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा , कृष्णा-कृष्णा हरे हरेहरे रामः हरे रामः रामः रामः हरे हरे
कहाँ कहाँ होगी शानदार कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव ?
- प्रेम मंदिर वृंदावन।
- ठाकुर श्री बांकेबिहारी मन्दिर,वृंदावन।
- चौरासी खम्भा महावन।
- द्वारिकाधीश मन्दिर , मथुरा।
- नंद भवन , गोकुल।
- अगर आप या आपके जानकार में कोई गर्भवती या बीमार है तो कृप्या उन्हें उपवास रखने न बोलें, भगवान इससे तो खुश नहीं होंगे कि आप इन परिस्थितियों में उपवास रखें।
- पूजा के दौरान मदिरा पान से दूरी बनाए रखे।
- उपवास रखने वाले दिन आप चाहें तो प्रातः काल करीबन 2-3 बजे के बीच आप कुछ सादा भोजन ग्रहण कर सकते हैं ताकि दिन भर आप इस उपवास को आराम से बिता सकें, वैसे कृष्ण भक्ति में आपको इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
- पूजा के बाद अचानक कुछ भी नहीं खाएं,आपको फ़ूड पॉइजनिंग हो सकती है , अगर सम्भव हो तो कुछ तरल पदार्थ से शुरू करें ये आपके डाईजेशन सिस्टम के लिए अच्छा होगा।
क्यों खास हैं श्री कृष्णा ?
- श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश - आप सबों को ज्ञात होगा कि जब अर्जुन युध्द के मैदान में अपने कर्तव्य से पीछे हट रहे थे तब श्री कृष्णा ने उन्हें ऐसा पाठ दिया कि आज तक समस्त दुनियां उसकी अनुसरण करती आ रही है , जीवन के उन अनमोल बातों की सिख की कोई मुकाबला नहीं है ।
- एक सच्चे मित्र - अपने बचपन के मित्र सुदामा के महज दो मुट्ठी चावल भर से उन्होंने अपना दो लोक उन्हें दान कर दिया , भगवान होते हुए भी अपने मित्र के पांव धोये कुछ ऐसी सरल भाव और विनम्रता उन्हें महान बनाती है।
- गाय के प्रति प्रेम - चुकी उनकी जन्म एक यादव के परिवार यानी श्री वासुदेव के पुत्र के रूप में हुई ,परन्तु कंश के कारण वासुदेव अपने पुत्र कृष्णा को , अपने चचेरे भाई बाबा नंद के पास छोड़ आएं, मान्यता थी कि बाबा नंद के पास सवा लाख गायें थी , इनके पास रहते हुए श्री कृष्ण के जीवन का अहम भाग गायों के बीच गुजरी और कृष्ण उन गायों से बेहद प्रेम भाव रखते थे।
- वक़्त वक़्त पर सबों की घमंड तोड़ परमात्मा का बोध कराया जैसे कि भगवान इंद्र को।
Reviewed by Story teller
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अगस्त 10, 2020
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